
नई दिल्ली । कलकत्ता हाईकोर्ट(Calcutta High Court) ने कहा कि नशे की हालत में नाबालिग का स्तन छूने(touching the breast of a minor) की कोशिश(Effort) करना पॉक्सो एक्ट(pocso act) के तहत दुष्कर्म की कोशिश (attempted rape)नहीं है। यह सिर्फ यौन अपराध की श्रेणी में आता है। न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति बिस्वरूप चौधरी की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट की ओर से पॉक्सो के तहत एक आरोपी को दोषी ठहराने और सजा सुनाए जाने के आदेश को निलंबित करते हुए यह टिप्पणी की। निचली अदालत ने आरोपी को 12 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।
खंडपीठ ने यह भी कहा कि पीड़िता की मेडिकल जांच से यह स्पष्ट नहीं होता कि आरोपी ने दुष्कर्म किया या दुष्कर्म का प्रयास किया। बेंच ने कहा कि ऐसे सबूत पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 10 के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोप को सही ठहरा सकता है लेकिन बलात्कार की कोशिश के अपराध का संकेत नहीं देते। खंडपीठ ने कहा कि अगर अंतिम सुनवाई के बाद आरोप को ‘गंभीर यौन उत्पीड़न’ तक सीमित कर दिया जाता है, तो आरोपी की सजा 12 साल से घटकर पांच से सात साल हो जाएगी।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इसी तरह का आदेश जारी किया था। कोर्ट ने कहा था कि नाबालिग पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना रेप या रेप की कोशिश नहीं माना जा सकता है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र ने कासगंज के पटियाली थाने में दर्ज मामले में आकाश व दो अन्य आरोपियों की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए की थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों पर लगाए गए आरोप और मामले के तथ्यों के आधार पर इस मामले में रेप की कोशिश का अपराध नहीं बनता। इसकी बजाय उन्हें आईपीसी की धारा 354 (बी) यानी पीड़िता को निर्वस्त्र करने या उसे नग्न होने के लिए मजबूर करने के इरादे से हमला या दुर्व्यवहार करने और पॉक्सो एक्ट की धारा 9 (एम) के तहत आरोप के तहत तलब किया जा सकता है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved