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उप्र : बनारसी मोतियों को निगल नहीं पाया चीन का कोरोना

वाराणसी । योगी सरकार ने चीन को आईना को दिखाते हुये बनारस के कांच के मोतियों के उद्योग को देश में ही नहीं बल्कि वैश्विक पटल पर पहुँचाया है। भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों की मांग बढ़ी, जिसमें पूर्वांचल के प्रमुख हस्तशिल्प बनारसी कांच की मोतियों की चमक वैश्विक पटल पर चमकती हुयी दिखाई दे रही है।

स्वाति नक्षत्र के एक बूंद से सीप कीमती मोती में बदल जाती है, वैसे ही काशी में कांच से बनने वाली मोतियों के लिए स्वाति नक्षत्र की बूंद साबित हुई है उत्तर प्रदेश की योगी सरकार। वाराणसी का नाम सुनते ही सबसे पहले यहां की बनारसी साड़ी जेहन में आती है, शायद कम ही लोगों को बनारसी मोतियों के बारे में पता हो जो कमजोर कांच से तो बनती है, लेकिन विदेशों में अपनी चमक से लोगों को चकाचौंध किये हैं। 

बात कांच की मोतियों की जाये तो बनारस का नाम सबसे पहले आता है क्योंकि बनारस अब सिल्क की साड़ियों से ही नहीं बल्कि कांच की मोतियों से भी जाना जाता है। बनारस में बनने वाले कांच के हस्तनिर्मित मोतियों का आकर्षण पूरे संसार में अपनी छटा को बिखेर रहा है। भारत ही नहीं, दुनिया भर में इसके मुरीद है। 

ग्लास बिड्स का उत्पादन उत्तर प्रदेश में बनारस, फ़िरोज़ाबाद और पुर्दिलपुर(हाथरस) में होता है और इसका निर्यात अमेरिका, यूरोप, ब्राजील, इटली, फ्रांस, जर्मनी, केन्या, कोलोम्बिया और यू.के. सहित दुनिया के 70 देशों में किया जाता है। 

वाराणसी के बड़ा लालपुर स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में इन मोतियों की चमक और निखर रही है। जीआई पंजीकृत इस शिल्प को हस्तकला संकुल में शानदार डिस्प्ले के साथ प्रदर्शित किया गया है। यहां आने वाले खरीदार और शिल्प प्रेमियों को भी इन मोतियों की चमक भा रही है।

उप्र के पर्यटन, धर्मार्थ व संस्कृति मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने बताया कि हस्तनिर्मित कांच की मोतियों के कारोबार से बनारस के 10 हजार परिवार जुड़े हुए हैं। इसमें ग्लास बीड्स को मोती का स्वरूप देकर फैंसी माला के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के आकर्षक सजावटी सामान तैयार किए जाते हैं। बनारस में ग्लास बीड्स बनाने का काम परंपरागत ढंग से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इस व्यवसाय से बड़ी संख्या में महिलाएं भी जुड़ी हैं। 

हैंडमेड ग्लास बीड्स का बनारस बना सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र 
डा. नीलकंठ ने बताया कि योगी सरकार में हैंडमेड ग्लास बीड्स का बनारस सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र बन चुका है। शीशे से मोती बनाने का काम लगभग 200 वर्ष पुराना है। इसमें सजावटी सामान, ब्रेसलेट, हार, पर्दों और दीवारों में लगाने वाले बीड्स आदि बनाए जाते हैं। 

योगी सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि चाइना और अमेरिका के बीच बढ़ती दूरियों में बनारस के प्रख्यात कांच की मोतियों से पूरी दुनिया प्रकाशित होती जा रही है। चीन के उत्पादों पर आयात शुल्क में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दिए जाने से अमेरिकी देशों में जहां चीनी उत्पाद महंगे हो गए तो वहीं भारतीय उत्पाद चीनी उत्पादों की अपेक्षा सस्ते हो चले हैं। इससे भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों की मांग बढ़ गई, जिसमें पूर्वांचल के प्रमुख हस्तशिल्प बनारसी कांच की मोतियों की चमक वैश्विक पटल पर चमकने लगी है। एक ओर जहां चाइना के कोरोना ने अपने ही राष्ट्र के उत्पादों को खत्म कर दिया वही प्रदेश की योगी और केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों से काँच के बनारसी मोती के आगे वो खुद खत्म होने लगा।

कूटनीतिक संजीवनी से योगी बढ़ा रहे कांच के मोतियों का उद्योग
योगी सरकार ने अपनी कूटनीतिक संजीवनी से कांच के मोतियों के उद्योग को बढ़ाकर ग्लास बीड्स पर हो रहे चीन के कब्जे को रोक दिया है। कोरोना काल मे जहाँ कई राज्यो के व्यापार की चाल धीमी हो गई थी लोगो के रोजगार चले गए थे, वहीं काशी के काँच के मोती अपनी चमक बरकरार रखे हुए थे।

एमएसएमई, खादी ग्रामोद्योग, निर्यात प्रोत्साहन व सूचना के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि सरकार भी इस उद्योग के उत्थान के लिए कई योजनाओ को मूर्त रूप देकर औद्योगिक विकास को गति देने की योजना पर काम कर रही है। वाराणसी के प्रमुख लघु उद्योग कांच की मोतियों का उत्पादन में वृद्धि हो और इस क्षेत्र में कारीगरों की संख्या बढ़े इसके लिए कौशल विकास कार्यक्रम के तहत बनारसी मोती क्लस्टर योजना को तेजी से मूर्त रूप दिया जा रहा है। लगभग 50 करोड़ की लागत वाली इस योजना में सरकार 70 प्रतिशत खर्च करेगी बाकी 30 प्रतिशत खर्च उद्योग से जुड़ी कंपनी करेगी।

बनारसी मोतियों की चमक को वैश्विक बाजार में और बढ़ाने की योजना के तहत कांच की मोतियों के आभूषण को परंपरागत डिजाइनों के अत्याधुनिक रंग रूप देने के लिए भी काम शुरू कर दिया गया है। इसके लिये कई अत्याधुनिक मशीनों को क्लस्टर में लाने की तैयारी है और इस पर गंभीरता के साथ काम शुरू हो गया है। 

रोहनिया क्षेत्र के एक गांव को चुना गया
वाराणसी के उद्योग विकास विभाग के संयुक्त आयुक्त उमेश सिंह ने बताया कि रोहनिया क्षेत्र के एक गांव को इस कार्य के लिए चुना गया है जहां क्लस्टर योजना के लिए शेड तैयार कर दिया गया है और अब निविदाए आमंत्रित करने की तैयारी आखिरी दौर में चल रही है। उन्होंने बताया कि उद्योग के समूहबद्ध योजना के तहत वैश्विक बाजार में मांग के अनुरूप उत्पादन पर जोर दिया जाएगा। 

ग्लास बिड्स के युवा निर्यातक सिद्धार्थ गुप्ता ने कहा की हम लोग करोना से लड़ते हुए इस बार निर्यात लगभग तीस प्रतिशत बढ़ाएँगे, जिससे कम्पनी को ही नहीं बल्कि उससे जुड़े सभी लोगों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रुप से रोजगार अवसर के साथ लाभ मिलेगा। 

अशोक कुमार ने कहा कि सरकार के सहयोग से यहां पर मोतियों के उत्पाद को बढ़ाने के लिए क्लस्टर स्थापित करने की दिशा में काम चल रहा है। इससे वाराणसी एवं आस-पास के जिलों में मोतियों के उत्पादक कारीगरों, शिल्पकारों की इकाईयों में कार्यरत लोगों को पारंपरिक कार्यशैली में प्रशिक्षण एवं स्व रोजगार का अवसर मिलेगा।

व्यवसाय से जुड़े उद्यमी बताते हैं कि योगी सरकार के आने से इस उद्योग की गतिविधियों में बहुत तेजी आयी है। इसके बनने से काफी निवेश आएगा। क्लस्टर बनने से करीब हजारों लोगों को मिलेगा रोजग़ार,एक्सपोर्ट बढ़ेगा, कच्चा माल मिलेगा,ट्रेडिंग मिलेगी।

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