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शादियों में गाते थे फिर दर्दीली आवाज से शिखर तक पहुंचे

ख्यात पाश्र्व गायक मुकेश की आज जयंती
बचपन से मुकेश को अभिनय और गायन का शौक था। वह परिवार से छुप-छुप कर शादियों में गाकर अपना शौक पूरा करते थे, अभिनेता मोतीलाल ने वैवाहिक समारोह में गाते हुए मुकेश को सुना तो उन्हें मुंबई ले आएं। थोड़े दिनों संघर्ष के बाद मुकेश की दर्द भरी आवाज का फिल्मी उद्योग मुरीद हो गया।

सिंगर मुकेश ने अपने मधुर गीतों और सुरीली आवाज से इंडस्ट्री में खास पहचान बनाई। हिंदी फिल्म संगीत के इतिहास में 1950 और उसके बाद के तीन दशकों के दौरान यदि सबसे लोकप्रिय रहे। आज ही के दिन मुकेश का जन्म 22 जुलाई 1923 को हुआ था। राजकपूर की आवाज कहे जाने वाले मुकेश आज भी संगीत प्रेमियों के दिल पर राज करते हैं। मुकेश ने राजकपूर के लिए दोस्त-दोस्त न रहा, जीना यहां मरना यहां, कहता है जोकर, दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई, आवारा हूं, मेरा जूता है जापानी जैसे सदाबहार गाने गाए हैं। मुकेश भारत ही नहीं विदेश में भी काफी मशहूर रहे हैं। मुकेश फिल्मों में काम करना चाहते थे। मुकेश ने 1941 में फिल्म निर्दोष में अदाकारी की। साथ ही इस फिल्म के गाने भी खुद गाए, मुकेश ने 40 साल के लंबे कॅरियर में लगभग 200 से अधिक फिल्मों के लिए गीत गाए। मुकेश उस जमाने के हर सुपरस्टार की आवाज बने। मुकेश का निधन 27 अगस्त 1976 को अमेरिका में एक स्टेज शो के दौरान दिल का दौरा पडऩे से हुआ। उस समय वह इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल… गा रहे थे।
यह हैं मुकेश के कुछ सुपर-डुपर हिट गीत
मेरा जूता है जापानी, ये मेरा दीवानापन है, किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना, दोस्त-दोस्त ना रहा, जाने कहां गए वो दिन, मैने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने, इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, मैं पल दो पल का शायर हूं, कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है, दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई, एक प्यार का नगमा है, बरखा रानी जरा जम के बरसों, ये तेरे प्यार का गम, तुम अगर मुझके न चाहो तो कोई बात नहीं आदि हैं।

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