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उत्तराखंड : उत्तरकाशी में घना कोहरा, ध्वस्त कम्युनिकेशन सिस्टम और लैंडस्लाइड का डर बन रहा रेस्क्यू में बाधा

August 07, 2025

नई दिल्ली. उत्तरकाशी (Uttarkashi) के धराली (Dharali) में कुदरत ने कहर बरपाया है. लेकिन यहां चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को मौसम और भौगोलिक परिस्थितियां गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं. धाराली, हर्षिल और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ और भूस्खलन से हालात बेकाबू हैं. सेना, ITBP, NDRF और SDRF की टीमें कीचड़ और मलबे के नीचे फंसे लोगों को बचाने में जुटी हैं. हालात इतने खराब हैं कि भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर मंगलवार दोपहर से तैयार होने के बावजूद उड़ान नहीं भर पा रहे हैं.


उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल में बादल फटने और भारी बारिश की वजह से बाढ़ आई है, जिससे जगह-जगह भूस्खलन हुआ है. कई सड़कें या तो कट गई हैं या मलबे में दब गई हैं. मोटी कीचड़ की परतें, गिरी हुई चट्टानें, घना कोहरा और लगातार बारिश ने रेस्क्यू टीमों की गति को धीमा कर दिया है. खासकर धाराली तक पहुंचने का रास्ता ब्लॉक हो गया है.जिससे राहत सामग्री पहुंचाने और लोगों को निकालने में भारी दिक्कत आ रही है.

भारतीय वायुसेना के Mi-17 और ALH Mk-III हेलिकॉप्टर बरेली में, AN-32 और C-295 विमान आगरा में स्टैंडबाय पर हैं. इन विमानों में राहत सामग्री भर दी गई है और उड़ान भरने के लिए पूरी तैयारी हैं. लेकिन मौसम खराब होने के कारण उड़ान नहीं भर पा रहे हैं. वायुसेना के सूत्रों के अनुसार पूरे क्षेत्र में घने बादल और कोहरा छाया हुआ है, जिससे विजिबिलिटी जीरो हो गई है. ऐसे में हेलिकॉप्टर उड़ाना जोखिम भरा है क्योंकि पायलटों को पहाड़ी इलाका दिखाई नहीं देता.

दुर्गम इलाका, कोहरा और चुनौतीपूर्ण हालात
हिमालयी क्षेत्र की दुर्गमता, संकरी घाटियां और ऊबड़-खाबड़ रास्ते जमीन से बचाव कार्य को भी मुश्किल बना रहे हैं. लगातार बारिश और कोहरे ने विजिबिलिटी खत्म कर दी है, जिससे राहत और बचाव की रफ्तार धीमी हो गई है. मौसम विभाग ने भी खराब मौसम को लेकर चेतावनी दी है.

कम्युनिकेशन सिस्टम ध्वस्त, सेटेलाइट फोन ही सहारा
प्राकृतिक आपदा के कारण संचार व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है. ज्यादातर जगहों पर मोबाइल नेटवर्क ठप है और केवल सेटेलाइट फोन के जरिए ही संपर्क संभव हो पा रहा है. फिर भी टीमों के बीच तालमेल में दिक्कतें आ रही हैं.

पैदल पहुंचीं टीमें, मशीनें फंसीं
सेना और आईटीबीपी की टीमें जो पास के इलाकों में तैनात थीं, वे पैदल ही घटनास्थल तक पहुंची हैं. रास्ते बर्बाद हो चुके हैं, कीचड़ और पानी से भर चुके हैं, जिससे वहां तक पहुंचना बेहद कठिन हो गया है. भारी मशीनें भी फिलहाल वहां नहीं पहुंच पाईं हैं, क्योंकि सड़क मार्ग टूट चुका है.

मलबा बना बड़ी रुकावट
कुछ इलाकों में मोटी परतों में जमा कीचड़ और मलबा रेस्क्यू में बड़ी बाधा बना हुआ है. यहां फंसे लोगों को निकालना और भारी मशीनों को शिफ्ट करना मुश्किल हो रहा है. लगातार बारिश के कारण दोबारा भूस्खलन और बाढ़ की आशंका जताई जा रही है. इससे बचाव कार्य और भी धीमा हो गया है और ज़रूरतमंदों तक मदद पहुंचाना मुश्किल होता जा रहा है.

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