
देहरादून । उत्तराखंड (Uttarakhand ) के चमोली में ग्लेशियर टूटने (Glacier Breakdown) से बड़ा हादसा हो गया. कई लोगों की जान चली गई. अभी भी 100 से अधिक लोग लापता हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन रात में भी जारी है. इस बीच ग्लेशियर टूटने के बाद तपोवन के पास एक झील बन गई है. अब इस झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में जिलाधिकारी (DM) ने एहतियातन टिहरी बांध से पानी छोड़ने का निर्देश दिया है.
दरअसल, ग्लेशियर (Glacier) टूटने के बाद तपोवन के ऊपरी हिस्से में एक झील का निर्माण हो गया है. और अब इस झील में भारी मात्रा में पानी जमा हो गया है. ऐसे में झील के निचले हिस्से में बने बांध से पानी को नियंत्रित तरीके से छोड़ा जा रहा है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अगर झील फटी तो बांध का पानी और झील में जमा पानी दोनों निचले इलाकों में बड़ी तबाही मचा सकते हैं.
गौरतलब है कि चमोली हादसे के वक्त मैदानी इलाकों में बाढ़ जैसे हालत न पैदा हो जाए, इसलिए बांध के पानी को रोक दिया गया था. हालांकि, अब उसी बांध के पानी को बड़ी सावधानी से छोड़ा जा रहा है क्योंकि बांध के ऊपर झील में भी पानी जमा हो गया है. हालांकि, किसी भी खतरे से निपटने के लिए प्रशासन मुस्तैद है. इस बीच सोमवार को DRDO एक्सपर्ट की एक टीम उत्तराखंड पहुंचेगी. ये टीम चमोली में हादसे वाली जगह का मुआयना कर स्थिति का आकलन करेगी. DRDO एक्सपर्ट की टीम आसपास के ग्लेशियरों का भी अध्ययन करेगी.
इस आपदा से ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट और एनटीपीसी प्रोजेक्ट को भारी नुकसान हुआ है. इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे करीब 100 लोग लापता बताए जा रहे हैं. जोशीमठ की एसडीएम कुमकुम जोशी ने कहा कि पावर प्रोजेक्ट बर्बाद हो चुका है. पूरी नदी मलबे में तब्दील हो गई है और मलबा धीरे-धीरे बह रहा है.
उधर हादसे के बाद दिल्ली से लेकर राज्य सरकार अलर्ट हो गई. आईटीबीपी, NDRF और SDRG की कई टीमें मौके पर रवाना कर दी गईं. श्रीनगर, ऋषिकेश और हरिद्वार में अलर्ट जारी कर दिया गया. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जायजा लेने पहुंच गए. गृह मंत्रालय पूरी स्थिति को मॉनिटर करने लगा. शाम होते-होते सेना और वायुसेना को भी मुस्तैद कर दिया गया. खुद गृह मंत्रालय पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन को मॉनीटर कर रहा है.
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