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छह राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर वोटिंग आज, क्षेत्रीय दलों के सामने भाजपा की सबसे बड़ी परीक्षा

नई दिल्ली। छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों (assembly seats) पर आज वोटिंग होने जा रही है. ये उपचुनाव बीजेपी के लिए सबसे बड़ी परीक्षा (test) लेकर आए हैं. बिहार में पार्टी की सीधी टक्कर नीतीश-तेजस्वी के महागठबंधन से है तो तेलंगाना में केसीआर (KCR in Telangana) की टीआरएस से अपनी सीट बचाना पार्टी के लिए चुनौती साबित होगा. दूसरे राज्यों में भी क्षेत्रीय दल बीजेपी (Regional Party BJP) की राह मुश्किल करने का काम करने वाले हैं. एक नजर उन सात विधानसभा सीटों पर डालते हैं और जमीन पर क्या समीकरण हैं, उसे समझने की कोशिश करते हैं.

मोकामा (बिहार)
मोकामा सीट (mokama seat) पर इस बार चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प रहने वाला है. बीजेपी पहली बार ये सीट जीतने की कोशिश करने वाली है. उसकी तरफ से सोनम देवी को मैदान में उतारा गया है. पार्टी को उम्मीद है कि सोनम देवी (sonam devi) मोकमा की सीट पहली बार बीजेपी की झोली में डाल देगी. लेकिन दूसरी तरफ खड़ी है आरजेडी जो पहले से ही इस सीट पर काफी मजबूत है. उसने इस बार अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है. असल में अनंत सिंह की सदस्यता रद्द हुई है, उसी वजह से ये उपचुनाव हो रहा है. अनंत सिंह खुद दो बार जेडीयू और एक बार आरजेडी की टिकट पर मोकामा की सीट जीत चुके हैं. वहीं बीजेपी ने इस सीट पर ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी पर दांव चला है.


गोपालगंज (बिहार)
अब बिहार (bihaar) की ही दूसरी सीट पर भी उपचुनाव हो रहे हैं. गोपालगंज सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है. पिछली चार बार से गोपालगंज सीट (Gopalganj seat) हमेशा से बीजेपी के खाते में गई है. लेकिन इस बार क्योंकि पूर्व मंत्री सुभाष सिंह का निधन हो गया है, ऐसे में इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. बीजेपी को चुनौती देने के लिए गोपालगंज से आरजेडी ने मोहन प्रसाद गुप्ता को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने सुभाष सिंह की ही पत्नी कुसुम देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

अब इन दोनों ही सीटों पर हार जीत बीजेपी और महागठबंधन (BJP and Grand Alliance) के लिए काफी मायने रखेगी. एक तरफ अगर बीजेपी ने इन सीटों पर जीत का परचम फहराया तो सीधे-सीधे नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी को संदेश होगा कि जनता ने उनके महागठबंधन को खारिज कर दिया है. वहीं अगर बीजेपी को इन सीटों पर हार हुई तो नीतीश-तेजस्वी भी इसे जमीन पर बदलते सियासी वातावरण का ट्रेलर बताएंगे.

मुनुगोडे (तेलंगाना)
तेलंगाना में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. उस बड़ी परीक्षा से पहले टीआरएस, बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुनुगोडे सीट का उपचुनाव एक लिटमस टेस्ट साबित होने वाला है. कांग्रेस विधायक राजगोपाल रेड्डी के भाजपा में चले जाने की वजह से ही इस सीट पर फिर उपचुनाव हो रहे हैं. बीजेपी ने इस सीट पर राजगोपाल रेड्डी को ही अपना उम्मीदवार बना दिया है, वहीं टीआरएस ने पूर्व विधायक कुसुकुंतला प्रभाकर रेड्डी को मौका दिया है. अब एक तरफ केसीआर के लिए ये उपचुनाव उनकी राष्ट्रीय पार्टी के लॉन्च होने के बाद पहली परीक्षा है, वहीं बीजेपी तो इस सीट पर जीत दर्ज कर तेलंगाना में अपने पक्ष में हवा साबित करना चाहती है. कांग्रेस के लिए ये करो या मरो वाली स्थिति है. पिछले चुनावों में कांग्रेस का तेलंगाना में प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है, उसे देखते हुए अपनी मुनुगोडे सीट बचाना उसके लिए काफी जरूरी है. कांग्रेस ने इस सीट से Palvai Sravanthi को अपना उम्मीदवार बनाया है.

आदमपुर (हरियाणा)
आदमपुर सीट पर हो रहे ये उपचुनाव भी दोनों बीजेपी और कांग्रेस के लिए किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं है. आदमपुर सीट परंपरागत रूप से भजनलाल परिवार की सीट रही है. इस बार कुल 22 उम्मीदवार इस सीट के लिए अपनी उम्मीदवारी ठोक रहे हैं. लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी, कांग्रेस, INLD और आम आदमी पार्टी के बीच है. अब भजनलाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई के बीजेपी में जाने की वजह से इस सीट पर फिर चुनाव हो रहे हैं. इस बार बीजेपी ने कुलदीप के पुत्र भव्य बिश्नोई को चुनावी मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने जयप्रकाश पर अपना दांव चला है. लेकिन इस सीट पर 1968 से भजनलाल परिवार का राज चल रहा है.

गोला गोकर्णनाथ (उत्तर प्रदेश)
उत्तर प्रदेश की गोला गोकर्णनाथ सीट भी बीजेपी के लिए इस बार ज्यादा बड़ी परीक्षा साबित होने वाली है. इस सीट पर बीजेपी के विधायक अरविंद गिरि की जीत हुई थी. लेकिन अब उनका निधन हो चुका है, ऐसे में पार्टी ने उन्हीं के बेटे अमन गिरि को अपना उम्मीदवार बना दिया है. वहीं समाजवादी पार्टी की तरफ से पूर्व विधायक विनय तिवारी को प्रत्याशी बनाया गया है. इस बार बसपा और कांग्रेस की तरफ से इस सीट के लिए कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है, ऐसे में मुकाबला सीधे तौर पर बीजेपी बनाम सपा का होने वाला है.

धामनगर (ओडिशा)
ओडिशा की राजनीति में खुद का विस्तार करने की कोशिश में लगी भारतीय जनता पार्टी को पिछले विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा था. बीजेडी ने तब स्पष्ट बहुमत हासिल किया था और बीजेपी को जमीनी हकीकत के बारे में विस्तृत जानकारी मिली थी. लेकिन तब भी पार्टी ने धामनगर सीट पर जीत दर्ज की थी. बिश्नु चरण सेठी ने बीजेपी के लिए वो चुनाव जीता था. अब उनका निधन हो चुका है, सीट खाली है, ऐसे में फिर बीजेपी और बीजेडी के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है. बीजेपी ने इस सीट से सूर्यांशी सूरज को अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं बीजेडी ने अबंती दास के रूप में महिला उम्मीदवार को मौका दिया है. आप के अनवर शेख अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं.

अंधेरी ईस्ट ( महाराष्ट्र)
महाराष्ट्र की अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट का सियासी गणित काफी दिलचस्प है. महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले महीनों जो घटनाक्रम हुए हैं, उसे देखते हुए उद्धव खेमे के लिए ये सीट निकालना काफी जरूरी है. उनकी तरफ से चुनावी मैदान में रुतुजा लटके को उम्मीदवार बनाया गया है. उनके खिलाफ 6 उम्मीदवार मैदान में खड़े हैं, यहां भी चार तो निर्दलीय हैं. इस सीट पर सबसे बड़ा खेल बीजेपी ने किया है क्योंकि उसने पहले उम्मीदवार घोषित किया, लेकिन फिर नाम वापस ले लिया. पार्टी का तर्क है कि वो उद्धव ठाकरे को किसी भी तरह का मॉरल बूस्ट नहीं देना चाहती है. उसकी असल तैयारी तो कुछ महीनों में होने वाले बीएमसी चुनाव पर है जहां पर उद्धव खेमे की सियासी जमीन को पूरी तरह हिलाने की तैयारी है.

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