
कोच्चि। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने शुक्रवार को कहा कि भारत (India) को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र (Developed Nations) बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए महिलाओं (Womens) की सक्रिय भागीदारी बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि देश तभी अपनी जनसंख्या शक्ति का पूरा लाभ उठा सकेगा, जब महिलाएं हर क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका निभाएं। राष्ट्रपति मुर्मू कोच्चि में सेंट टेरेसा कॉलेज के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व वाला समाज न केवल अधिक संवेदनशील होगा बल्कि अधिक दक्ष भी साबित होगा।
राष्ट्रपति मुर्मू ने बताया कि पिछले दस वर्षों में जेंडर बजट आवंटन साढ़े चार गुना बढ़ा है और महिला-नेतृत्व वाले एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) की संख्या 2011 से 2024 के बीच लगभग दोगुनी हो गई है। उन्होंने कहा, ‘विकसित भारत 2047 के विजन को पूरा करने के प्रमुख स्तंभों में से एक है 70 प्रतिशत महिला कार्यबल की भागीदारी सुनिश्चित करना। कई सामाजिक और आर्थिक वर्गों की महिलाएं आज भारत की प्रगति की प्रेरक शक्ति बन चुकी हैं।’
राष्ट्रपति ने कहा कि केरल का लैंगिक अनुपात देश में सबसे बेहतर है, और इसे अन्य राज्यों की तरफ से अपनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता से पहले ही केरल की महिलाओं ने देश के संविधान निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया था। उन्होंने बताया कि केरल की तीन महिलाएं- अम्मू स्वामीनाथन, एनी मास्करेन और दक्षायनी वेलायुधन- संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों में शामिल थीं। इन तीनों ने मौलिक अधिकारों, सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता जैसे अहम मुद्दों पर गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने आगे कहा, ‘जैसा कि अम्मू स्वामीनाथन ने कल्पना की थी, आज यह देखकर खुशी होती है कि भारतीय महिलाएं राष्ट्र-निर्माण में प्रमुख जिम्मेदारियां निभा रही हैं।”
राष्ट्रपति ने केरल की उन महिलाओं का भी उल्लेख किया जिन्होंने देश के न्यायिक इतिहास में नई राहें खोलीं। उन्होंने कहा, ‘भारत की पहली महिला हाई कोर्ट जज न्यायमूर्ति अन्ना चांडी थीं। वहीं न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी ने 1989 में सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला जज बनकर इतिहास रचा।’
राष्ट्रपति मुर्मू ने सेंट टेरेसा कॉलेज की छात्राओं को युवा, जीवंत और उभरते भारत का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि कॉलेज की पूर्व छात्राएं देश के विकास में सकारात्मक योगदान दे रही हैं। राष्ट्रपति ने कॉलेज की समुदाय सेवा पहलों की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘यह जानकर खुशी हुई कि कॉलेज समुदाय सादगी से जीवन जीने और वंचितों की सेवा में विश्वास रखता है। बाढ़ राहत शिविरों में छात्राओं की निस्वार्थ सेवा वास्तव में प्रेरणादायक है।’
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