डेस्क। भारत (India) और इंग्लैंड (England) के बीच लीड्स के हेडिंग्ले में खेले जा रहे एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी (Anderson-Tendulkar Trophy) के पहले टेस्ट (Test) के पहले दिन भारतीय बल्लेबाजों का बोलबाला रहा। दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने तीन विकेट गंवाकर 359 रन बना लिए थे। कप्तान शुभमन (Shubhman) 127 रन और उपकप्तान ऋषभ पंत (Rishabh Pant) 65 रन बनाकर नाबाद रहे। वहीं, सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) ने 101 रन बनाए। उन्होंने शतक जड़ने के बाद कहा कि उन्होंने अपनी इस पारी का लुत्फ उठाया। यशस्वी ने बताया कि उन्होंने कप्तान गिल के साथ मिलकर इंग्लैंड के गेंदबाजों पर प्रहार करने के लिए खास रणनीति बनाई थी।
यशस्वी ने पहले दिन का खेल समाप्त होने के बाद कहा, ‘पहला दिन बहुत बढ़िया रहा। सभी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। इंग्लैंड की परिस्थितियों में क्रीज पर जाकर बल्लेबाजी करना शानदार रहा। मैंने पारी का आनंद लिया। मैंने बहुत अच्छी तरह से तैयारी की थी। हाल के दिनों में बहुत अच्छे अभ्यास सत्र और मैच खेले। इसलिए यह पारी सरल तरीके से खेली। अगर कोई ढीली गेंद होती तो मैं उसे खेलता।’
बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने यह भी बताया कि उन्होंने और गिल ने कैसे अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाया। यशस्वी ने कहा, ‘हम बीच में बहुत बात कर रहे थे और हम सत्र दर सत्र आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे और जितना संभव हो सके उतने रन बनाने की कोशिश कर रहे थे। हमारे बीच अच्छी बातचीत हो रही थी। गिल के साथ बल्लेबाजी करना शानदार रहा और जिस तरह से उन्होंने शांत और संयमित होकर बल्लेबाजी की, मैंने उसका भरपूर आनंद लिया और इससे मुझे मदद मिली।’
शुक्रवार को लगाया गया शतक वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया में शतक लगाने के बाद विदेशी दौरों पर यशस्वी का तीसरा 100+ रन का स्कोर रहा।। अपने शतक के दौरान उनकी व्यक्तिगत रणनीति क्या थी? यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘रणनीति यह थी कि खराब गेंदों को दूर रखा जाए, शॉट को सही समय पर और सही जगह पर लगाया जाए। मैं बस स्थिति को संभालने के बारे में सोच रहा था, साथ ही यह देख रहा था कि इंग्लैंड की टीम फील्डर कहां रख रही थी या किस क्षेत्र में गेंदबाजी कर रही थी। मैं बस उसी हिसाब से बल्लेबाजी करने की कोशिश कर रहा था। मैं टीम की जरूरतों के हिसाब से बल्लेबाजी कर रहा था।’
यशस्वी अपने कई साथियों की तरह दो महीने के आईपीएल सीजन के बाद बहुत ज्यादा अभ्यास किए बिना रेड-बॉल क्रिकेट में या यूं कहें लीड्स टेस्ट में उतरे। हालांकि, इस 23 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि मानसिक रूप से प्रारूपों को बदलना उनके लिए महत्वपूर्ण था। यशस्वी ने कहा, ‘क्रिकेट में हमेशा चुनौतियां रहेंगी, बस यह अलग-अलग चरणों में अलग-अलग होगी। मैं अपनी प्रक्रिया और मानसिकता पर भरोसा करने की कोशिश कर रहा था और खुद को अभिव्यक्त करने की कोशिश कर रहा था। मानसिक रूप से बदलाव करना बहुत महत्वपूर्ण है, जैसे कि आप कैसे सोचते हैं या आप किस माहौल में हैं। जब आप दबाव में खेल रहे होते हैं, तो यह आपको खेल का आनंद लेने में मदद करता है।’
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