
नई दिल्ली: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) ने करगिल विजय दिवस (Kargil Victory Day) के अवसर पर सैनिकों (Troops) के परिवारों को मुफ्त कानूनी सहायता (Free Legal Aid) प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू की. यह भारत के इतिहास में पहली बार है कि सैनिकों के परिवारों को अब बिना किसी खर्च के कानूनी मदद दी जाएगी.
नालसा के ‘वीर परिवार सहायता योजना 2025’ नामक इस नई पहल का उद्देश्य भारतीय सैनिकों को दुर्गम इलाकों और दूर-दराज के क्षेत्रों में सेवा के दौरान घरेलू कानूनी बोझ से मुक्त करना है. इस ऐतिहासिक न्यायिक कदम का संदेश है: आप सीमाओं पर देश की सेवा करें, हम घर पर आपके परिवार की देखभाल करेंगे.
इस योजना का औपचारिक शुभारंभ शनिवार को श्रीनगर में एक सम्मेलन में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने किया. इस शुभारंभ समारोह में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी शामिल हुए.
इस कार्यक्रम की शुरुआत ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई थी. दरअसल, जस्टिस सूर्यकांत इस ऑपरेशन के दौरान सशस्त्र बलों द्वारा दिए गए बलिदान से बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने ऐसे तरीके तलाशने शुरू कर दिए जिनसे न्यायपालिका उनकी भलाई में और अधिक प्रत्यक्ष योगदान दे सके.
सूत्रों के अनुसार, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि कानूनी बिरादरी को यह सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए कि देश की रक्षा करने वाले सैनिकों को व्यक्तिगत कानूनी संकटों से निपटने के लिए अकेला न छोड़ा जाए. इस विचार की परिणति नालसा वीर परिवार सहायता योजना के रूप में हुई है, जिसे न्यायमूर्ति कांत 24 नवंबर को भारत के प्रधान न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करने से पहले शुरू करने वाले हैं.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved