डेस्क। टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics) जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं उसके आयोजकों के लिए परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। देश की जनता ओलिंपिक के आयोजन के खिलाफ है ही वहीं कोरोना (Coronavirus) के बढ़ते मामलों की वजह से देश आपातकाल लगाया जा चुका है जो 23 जून तक लागू रहना वाला है। इस बीच खेलों के रद्द होने को लेकर लगातार खबरें आ रही हैं। जापान की ओलिंपिक कमेटी की परेशानियां अब और बढ़ गई हैं क्योंकि इन खेलों में वालंटियर करने वाले 10000 लोगों ने नाम वापस ले लिया है।
ओलिंपिक खेल पिछले साल आयोजित किए जाने थे लेकिन कोरोना के कारण इन खेलों को एक साल के लिए किए स्थगित किया गया था। यह खेल अब इस साल 23 जुलाई से आयोजित किए जाने हैं। हालांकि कोरोना की दूसरी लहर ने पूरी दुनिया में एक बार फिर से तबाही मचा दी है और यही कारण है कि इन खेलों पर फिर से खतरा मंडरा रहा है। ओलिंपिक खेलों में भाग लेने के लिए पहली टीम मंगलवार को पहुंची है। ऑस्ट्रेलिया की सॉफ्टबॉल टीम यहां आ चुकी है।
एएनआई न्यूज एजेंसी के अनुसार, टोक्यो ओलिंपिक और पैरालिंपिक में मदद करने वाले 80,000 वालंटियर में से 10,000 ने इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने वालों में से ज्यादातर का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण वह चिंतित हैं। वहीं कुछ ने कहा कि वह खेलों के आयोजन के खिलाफ हैं। ऐसे में खेलों में मदद करने वाले इन वालंटियर्स को भी डर सता रहा है। हालांकि बुधवार की रात सीईओ तोशिरो मुटो ने कहा, ‘यह सच है कि 10 हजार वालंटियर ने नाम वापस ले लिया है लेकिन इसका खेलों पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि अब ओलिंपिक खेल उस स्तर पर आयोजित नहीं किए जा रहे हैं जैसे पहले किए जा रहे थे।’
उन्होंने कहा, ‘जापानवासी अभी बहुत असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और शायद वह हमें लेकर क्षोभ में भी हैं कि हम ऐसे समय में ओलिंपिक की बात कर रहे हैं हमारी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कैसे लोगों की संंख्या को नियंत्रित करें। उन्होंने आगे कहा, ‘अगर खेलों के दौरान महामारी अनियंत्रित होती है तो मुझे लगता है हमें खेलों के बिना दर्शकों के होने के लिए तैयार रहना चाहिए।’
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