
इंदौर। सरकार के नए फरमान से इंदौर में दवा निर्माण करने वाली मीडियम और स्माल फार्मा इंडस्ट्रीज पर संकट गहरा गया है। दवा निर्माताओं का कहना है कि एमएसएमई फार्मा इंडस्ट्रीज पर सरकार जो नए नियम थोपने जा रही है, उससे हर एक मेडिसिन प्रोडक्शन बनाने पर कम्पनी को लगभग 25 से 50 लाख रुपए अतिरिक्त खर्च करना पड़ेंगे।
फेडरेशन ऑफ फार्मा एंटरप्रेन्योर्स मध्यप्रदेश चैप्टर के चेयरमैन हिमांशु शाह ने कहा कि इंदौर में दवा बनाने वाली छोटी और मीडियम लगभग 200 सहित पूरे मध्यप्रदेश में 250 और सारे देश में लगभग 5000 फार्मा इंडस्ट्रीज हंै। सरकार ने निर्देश दिए हैं कि यह सभी स्माल एंड मीडियम फार्मा इंडट्रीज अपने हर मेडिसिन प्रोडक्शन करते वक्त केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा दिए गए बायोलॉजिकल एबिलिटी और बायो-इक्विवेलेंस स्टडी सम्बन्धित निर्देशों का सख्ती से पालन करें, वरना सभी सभी फार्मा कम्पनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे।
इंदौर के दवा निर्माताओं का कहना है कि केंद्र सरकार की इन कठोर नीतियों और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की हालिया सख्त कार्रवाइयों के चलते हर मेडिसिन प्रोडक्ट की गुणवत्ता और साइड इफेक्ट जांचने से लेकर क्लिनिल ट्रायल करवाने तक लगभग 25 लाख से 50 लाख रुपए खर्च आएगा, जबकि यह सभी कम्पनियां सरकार और सम्बन्धित विभागों के नियमों का पिछले 40 सालों से पालन करती आ रही हैं। इतने कठोर नए नियम थोपने से दवा प्रोडक्शन की लागत में लाखों रुपए की बढ़ोतरी हो जाएगी। इंदौर सहित देशभर की सभी स्माल मीडियम फार्मा इंडस्ट्रीज 2 दिन तक प्रोडक्शन बंद कर सरकार के खिलाफ नाराजगी और विरोध जताएंगी।
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