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15 साल से कम उम्र की 51 करोड़ लड़कियों में सर्वाइकल कैंसर का खतरा

July 24, 2025

कम उम्र में टीकाकरण ही एकमात्र बचाव का उपाय

इंदौर। कच्ची उम्र (tender age) में सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) जैसी परेशानियां अब सिर्फ लड़कियों (girls) को ही नहीं, बल्कि एचपीवी कैंसर (HPV Cancer) का खतरा लडक़ों में भी बढ़ रहा है 15 साल से 25 साल की उम्र तक में यह इंफेक्शन सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। हर साल सर्वाइकल कैंसर के 1 लाख 23000 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 51.4 करोड़ लड़कियां इसकी जद में हैं। सरकारी वैक्सीन उपलब्ध नहीं होने से निजी नर्सिंग होम व अस्पतालों में महंगे डोज के चलते अब भी जागरूकता की कमी बनी हुई है, जबकि 15 साल की उम्र से पहले लगाए गए टीके से इसका बचाव किया जा सकता है।


आईसीओ आईएआरसी इंफॉर्मेशन सेंटर ऑन एचपीवी एंड कैंसर (2023) के मुताबिक हर साल भारत में 1.23 लाख सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आते हैं और इनमें 77,000 मौतें होती हैं। इसके अलावा गुदा के कैंसर के 90 प्रतिशत और लिंग के कैंसर के 63 प्रतिशत मामले एचपीवी से ही जुड़े होते हैं। उसके बावजूद टीकाकरण को लेकर जागरूकता आम जनता तक नहीं पहुंची है। अब शहर के डॉक्टर के साथ सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने यह बीड़ा उठाया है। 15 साल की उम्र में दो डोज और 15 साल से अधिक की उम्र में तीन डोज सस्ती दरों पर तो उपलब्ध कराए जाएंगे, साथ ही इसके लिए जनजागरूकता भी फैलाई जाएगी। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा पूरे देश में चलाए जाने वाले पब्लिक हेल्थ इनिशिएटिव के सिलसिले में इंदौर में कॉनकर एचपीवी एंड कैंसर कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन किया गया। यहां एचपीवी के लोगों के स्वास्थ्य पर पडऩे वाले असर पर डॉ. ब्रजबाला तिवारी, कंसल्टेंट, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीला जैन कौशल, कंसल्टेंट, स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. सायली कुलकर्णी, स्त्री रोग विशेषज्ञ अरबिंदो आयुर्विज्ञान संस्थान, डॉ. संजीवसिंह रावत, डॉ. हिमांशु केलकर ने विचार-विमर्श कर जागरुकता फैलाने को लेकर मंथन किया।

किशोरों और उनके माता-पिता तक जानकारी
डॉक्टर पैनल ने कहा कि किशोर और उनके माता-पिता तक यह जानकारी पहुंचना बहुत जरूरी है । इसलिए अब यह बीड़ा डॉक्टरों ने खुद उठाया है। विशेषज्ञों ने विशेष रूप से कहा कि एचपीवी से सिर्फ सर्वाइकल कैंसर ही नहीं होता है, बल्कि इससे वलवा, वैजाइना, गुदा, लिंग और ओरोफेरिंक्स का कैंसर भी होता है। यह महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। एचपीवी के संक्रमण का खतरा 15 से 25 साल की उम्र के बीच ज्यादा होता है। एचपीवी वैक्सीन (टीके) उपलब्ध है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर पराग देशमुख ने बताया कि देशभर में होने वाली इन कॉन्क्लेव के जरिए हम ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के बारे में लोगों को समझाना चाहते हैं।

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