
तेहरान: 13 जून को ईरान (Iran) की राजधानी तेहरान (Tehran) और आसपास के इलाकों में जब इजरायली जेट्स (Israeli Jets) ने अपने सबसे बड़े सैन्य ऑपरेशन (Military Operation) ‘राइजिंग लायन’ (Rising Lion) की शुरुआत की, तब एक और बेहद सीक्रेट और खतरनाक मिशन चुपचाप अंजाम दिया जा रहा था. इस मिशन क नाम था ‘ऑपरेशन नार्निया’. इस मिशन में, इजरायल ने एक रहस्यमय ‘गुप्त हथियार’ की मदद से ईरान के 9 टॉप परमाणु वैज्ञानिकों को उनके ही बेडरूम में सोते वक्त खत्म कर दिया. लंबे समय से ईरानी वैज्ञानिकों की हत्या का मिशन इजरायल चलाता रहा है. इनका मकसद है ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े ऐसे लोगों को मारना, जो उसे आगे बढ़ा सकते थे.
माना जा रहा है कि इन्हीं हत्याओं से ईरान इतना भड़का कि उसका हमला अभी भी जारी है. इन हत्याओं की पुष्टि इजरायल के न्यूज चैनल N12 ने की है. इन हत्याओं में जो ‘गुप्त हथियार’ इस्तेमाल किया गया, उसके बारे में जानकारी अभी भी सार्वजनिक नहीं की गई है और उसे सेंसरशिप के तहत रखा गया है. हालांकि पहले भी इजरायल ने छोटे मुनिशन, ड्रोन और मिसाइल सिस्टम से ऐसे हमले किए हैं. यही तकनीकें ‘ऑपरेशन नार्निया’ में भी इस्तेमाल की गई हों, तो हैरानी नहीं.
इजरायली खुफिया एजेंसियों ने इस ऑपरेशन की योजना सालों से बनाई थी. वैज्ञानिकों को एक ही रात में खत्म किया गया ताकि कोई चेतावनी या बचने का मौका ना मिले. आमतौर पर ईरानी वैज्ञानिकों को कार बम या शूटआउट से मारा जाता था, जिससे बाकी लोगों को अलर्ट मिल जाता था. इस बार ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ा गया. द वार जोन की रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ इजरायली अधिकारी ने बताया, ‘ये वैज्ञानिक मानते थे कि उनके घर सबसे सुरक्षित हैं. उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि मौत उनके तकिए के नीचे पहुंच सकती है.’
मारे गए वैज्ञानिक
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved