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1960 में एक माह इंदौर में रहें थे विनोबा भावे

September 11, 2020

 – आज है जयंती
इन्दौर। निर्धन को भूमि दिलाने के लिए हुए भूदान यज्ञ के प्रणेता विनायक नरहरि (विनोबा) भावे का जन्म आज ही के दिन 11 सितम्बर, 1895 को महाराष्ट्र के कोलाबा जिले के गागोदा ग्राम में हुआ था। इंदौर शहर का सौभाग्य रहा है कि भावे जी एक माह यहां रहे थे।
नन्हें विनायक की विशेषता थी कि एक बार जो पढ़ लेते थे , वह सदा के लिए कण्ठस्थ हो जाता था । उनकी प्रारम्भिक शिक्षा बड़ौदा में हुई थी विनोबा पर गांधी जी की शिक्षाओं का बहुत प्रभाव पड़ा। गांधी जी के निर्देश पर साबरमती आश्रम के वृद्धाश्रम की देखरेख करने लगे। 1940 में भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ होने पर गान्धीजी ने उन्हें प्रथम सत्याग्रही के रूप में चुना।
इंदौर से जुड़ाव रहा, स्वच्छता की पहल भी की थी
आचार्य विनोबा भावे का इस शहर से भी जुड़ाव रहा। इंदौर आज भले ही स्वच्छता में पहले पायदान पर है, लेकिन इसे स्वच्छ बनाने की पहल 1960 में खुद विनोबा भावे ने की थी। उनका मानना था कि यह शहर अहिल्याबाई का है और इसी कारण यह जागृत नगर है। यह गंदा नहीं रहना चाहिए। 1960 की 25 जुलाई को इंदौर में आए विनोबा भावे 24 अगस्त तक इसी शहर में रहे। शहर उनकी कार्यस्थली था और निवास रीगल तिराहे स्थित कल की सफेद कोठी और आज की सेंट्रल लाइब्रेरी थी। इंदौर एकमात्र ऐसा शहर था, जहां वे अपनी पदयात्रा के दौरान एक माह तक रुके।

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