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भाजपा में विधायकों की मर्जी से नहीं, संगठन के क्राइटेरिया से तय होंगे टिकट

December 11, 2020

  • आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दावेदार सक्रिय

भोपाल। प्रदेश में महापौर एवं नगर पालिका अध्यक्षों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होते चुनावा सरगर्मी बढऩे लगी है। दावेदार भी टिकट के लिए सक्रिय हो गए हैं। निकाय चुनाव कार्यक्रम से पहले भाजपा ने टिकट वितरण की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। भाजपा इस बार निकायों में ज्यादा से ज्यादा नए चेहरों को मौका देने की तैयारी में है। इसके लिए टिकट वितरण का क्राइटेरिया तय किया जाएगा। जिसके तहत पार्षद का टिकट क्षेत्रीय विधायक की मर्जी से नहीं बल्कि संगठन द्वारा तय किए गए क्राइटेरिया से मिलेगा। इस बार विधायक अपने चहेते नेताओं को पार्षद नहीं बनवा पाएंगे। भारतीय जनता पार्टी संगठन के साथ-साथ चुनावों में भी नए लोगों को अवसर देने की रणनीति पर काम कर रही है। इसी रणनीति के तहत इस बार निकाय चुनाव में टिकट वितरण का नया क्राइटेरिया भी तय करने जा रही है। जिसमें उम्र का बंधन भी हो सकता है। यानी उम्रदराज नेताओं को पार्षद बनने का मौका नहीं मिलेगा। इससे कई दावेदार बाहर हो जाएंगे। इधर भोपाल भाजपा में इस चर्चा ने जोर पकड़ा है कि महापौर और पार्षदों के टिकट देते समय दिल्ली का फॉर्मूला अपनाया जाए। वहां सभी को बदल दिया गया था। भाजपा नेतृत्व के सामने मुश्किल होगी कि वह युवा और नए चेहरों को कैसे सामने लाए, क्योंकि निकाय चुनाव में अभी तक विधायकों के हिसाब से ही टिकट बंटे हैं।

कांग्रेस से विभा पटेल का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में
कांग्रेस भी निकाय चुनाव में नए चेहरों को उतार सकती है। हालांकि कांग्रेस के पास पार्षद के लिए ज्यादा पुराने चेहरे नहीं ऐसे में नया चेहरा उतारने की मजबूरी भ्ीा है। जबकि महापौर और अध्यक्षों के लिए चर्चित चेहरों को भी उतारा जाएगा। भाजपा महापौर के लिए कांग्रेस से पूर्व महापौर विभा पटेल का नाम आगे है। वे भोपाल से पूर्व में भी महापौर रह चुकी है। महापौर के प्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया में वे भोपाल की पहली महिला विधायक हैं।

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