- कोरोना से लड़ाई में हाईकोर्ट ने अस्पतालों व प्रशासन की भूमिका सराही
इंदौर। एक महिला वकील की मौत के मामले में हाईकोर्ट ने बांबे व अरबिंदो अस्पताल की कोई लापरवाही नहीं मानते हुए दो जनहित याचिकाओं का निपटारा कर दिया।
सूत्रों के अनुसार सितंबर माह में वकील अचला जोशी की मौत के मामले में अखबारों में छपी खबरों को आधार बनाकर हाईकोर्ट में दो याचिकाएं लगी थीं। इसमें बांबे अस्पताल पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उसे वकील की मौत का जिम्मेदार बताया गया था और उसका लाइसेंस निरस्त करने की मांग की गई थी। अरबिंदो अस्पताल पर भी कार्रवाई की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान बांबे अस्पताल ने सीसीटीवी फुटेज देकर बताया था कि उसके यहां बिस्तर खाली नहीं होने की वजह से महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा सका था। वहीं अरबिंदो अस्पताल का कहना था कि उसके यहां आने के पहले ही महिला ने दम तोड़ दिया था। पांच सदस्यीय कमेटी ने भी जांच के बाद अस्पतालों को क्लीनचिट दी थी। इस मामले में गत दिनों बहस के बाद हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब जारी करते हुए जस्टिस एससी शर्मा व जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की डिवीजन बेंच ने महिला वकील की मौत को तो दुर्भाग्यपूर्ण बताया, किंतु इन दोनों अस्पतालों की कोई लापरवाही नहीं मानी। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि बेड खाली नहीं होने से महिला का उपचार नहीं किया जा सका था। कोरोना के दौरान जिस तरह अस्पतालों के डॉक्टर व स्टाफ ने कोरोना से लड़ाई लड़ते हुए काम किया है, वह सराहनीय है। प्रशासन ने भी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल को कोविड हॉस्पिटल में तब्दील कर दिया है और कोरोना संक्रमण को रोकने में भरसक प्रयास किए हैं।