जोधपुर। महज दो साल की उम्र में बाल विवाह के बंधने वाली बालिका वधु नींबू को करीब 18 साल तक जद्दोजहद के बाद आखिरकार क्रिसमस पर बाल विवाह के बंधन से मुक्ति मिल गई। सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी व पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती की मदद से बालिका वधु नींबू का बाल विवाह निरस्त हो गया। जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या-1 के न्यायाधीश महेन्द्र कुमार सिंहल ने नींबू के बाल विवाह निरस्त का आदेश कर समाज को रूढि़वादी प्रथाओं के खिलाफ कड़ा संदेश दिया।जोधपुर जिले की बाप तहसील निवासी 20 वर्षीय नींबू का मई 2002 में बाल विवाह बीकानेर जिले के निवासी युवक के साथ करवा दिया गया था। बाल विवाह के समय नींबू की उम्र महज 2 साल की ही थी। बालिका वधु नींबू ने खुद के बाल विवाह के बंधन में नहीं रहने की इच्छा जताई। जाति पंचों ने काफी दबाव बनाकर जति बाहर करने की धमकियां देनी शुरू कर दी थी। इस बीच नींबू ने सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती से संबल पाकर जोधपुर पारिवारिक न्यायालय संख्या 1 में बाल विवाह निरस्त के लिए वाद दायर किया। न्यायालय में डॉ. कृति भारती ने नींबू की तरफ से न्यायालय में आयु, विवाह व अन्य संबंधित तथ्यों को प्रस्तुत कर पैरवी की। जिस पर पारिवारिक न्यायालय संख्या-1 के न्यायाधीश महेन्द्र कुमार सिंहल ने नींबू के महज 2 साल की उम्र में हुए बाल विवाह को निरस्त का आदेश जारी किया। न्यायाधीश सिंहल ने समाज को बाल विवाह के खिलाफ कड़ा संदेश दिया। बालिका वधु नींबू के धन्यवाद देने पर उन्होंने कहा कि बाल विवाह की कुप्रथा को खत्म करना सभी की जिम्मेदारी हैं। इसे सभी को बखूबी निभाना होगा।
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