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आज और कल रहेगी मौनी अमावस्या, चार ग्रहों की युति से बन रहा शुभ संयोग

भोपाल। भारतीय पंचांग के अनुसार माघ कृष्ण अमावस्या (Magha Krishna Amavasya according to Indian calendar) को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के रूप में मनाया जाता हैं। इस बार माघ अमावस्या साल 2022 की पहली सोमवती अमावस्या है। इसलिए इस अमावस्या का महत्व और बढ़ जाता है। इस बार अमावस्या पर शुभ संयोग (good luck) बन रहा है और यह दो दिन मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान कर पुण्य कमाने भी मान्यता है।



रविवार को प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य एवं वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ, मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि इस दिन गंगा स्नान या पवित्र नदियों व जलाशयों में स्नान करना चाहिए। श्राद्ध एवं पितृ तर्पण के लिए भी इस अमावस्या को महत्वपूर्ण माना गया है। मौनी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा और परिक्रमा करके धागा लपेटने का भी प्रचलन है। इस दिन गरीबों को अन्न व वस्त्र दान करने से कई गुना शुभ फल प्राप्त होने की भी मान्यता है।

तिवारी ने बताया कि इस बार मौनी अमावस्या दो दिन रहेगी। अमावस्या 31 जनवरी, सोमवार को दोपहर 2:20 बजे से आरम्भ होकर 1 फरवरी, मंगलवार को सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। लोग सोमवार और मंगलवार दोनों दिन स्नान-दान का पुण्य प्राप्त कर सकेंगे। ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी के अनुसार माघ मास में गोचर करते हुए भुवन भास्कर भगवान सूर्य जब चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते हैं तो ज्योतिष शास्त्र में उस काल को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस तिथि पर चुप रहकर अर्थात मौन धारण करके मुनियों के समान आचरण करते हुए स्नान करने से माघ मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि मौनी अमावस्या कहलाती है।

उन्होंने बताया कि इस बार मकर राशि में चतुष्ग्रही योग बन रहा है। दो बाप बेटों के अद्भुत एवं सुंदर संयोग बन रहा है। इस वर्ष जहां सूर्य पुत्र शनि देव स्वगृही होकर मकर राशि में गोचर कर रहे हैं, वहीं चंद्रमा भी अपने पुत्र बुध के साथ बुधादित्य योग का निर्माण करके मकर राशि में गोचर करते हुए इस दिन की शुभता को बढ़ाने वाले है।
डॉ तिवारी ने बताया कि शास्त्रों में मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन यहां देव और पितरों का संगम होता है। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि माघ के महीने में देवतागण प्रयागराज आकर अदृश्य रूप से संगम में स्नान करते हैं। वहीं मौनी अमावस्या के दिन पितृगण पितृलोक से संगम में स्नान करने आते हैं और इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है। इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन कई गुना फल देता है।

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