
वॉशिंगटन। रूस व यूक्रेन के बीच जंग की आशंकाएं कायम हैं, भले ही दोनों देशों के बीच सुलह के प्रयास जारी हैं। ताजा उपग्रह तस्वीरों से पता चला है कि रूस ने बेलारूस में एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली औश्र इस्कंदर प्रक्षेपास्त्र तैनात कर दिए हैं।
अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों का दावा है कि रूस यूक्रेन सीमा के आसपास के क्षेत्रों में सेना की तैनाती बढ़ाता जा रहा है। वह ऐसा तब तक करेगा जब तक कि राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को यह भरोसा हो जाए कि वह यूक्रेन पर आक्रमण के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
रविवार को अमेरिकी कंपनी ने यूक्रेन के सीमावर्ती क्षेत्रों की कुछ नई उपग्रह से ली गई तस्वीरें जारी की हैं। इन तस्वीरों से यूक्रेन से लगी बेलारूस की सीमा पर मिसाइलों की तैनाती का पता चला है। इनसे यह भी पता चला है कि रूस ने बेलारूस व उसके साझा पूर्वाभ्यास के पूर्व अपनी तैनाती को और बढ़ा दिया है।
रूस व बेलारूस ने 10 फरवरी से 20 फरवरी 2022 तक साझा युद्धाभ्यास का एलान किया है। इसका मकसद उनके गठबंधन के खिलाफ दक्षिणी सीमाओं से हमलों को विफल करना व प्रशिक्षण प्राप्त करना है। नाटो ने इसे शीत युद्ध के बाद की सबसे बड़ी तैनाती करार दिया है।
रूस हालांकि इस बात से लगातार इनकार कर रहा है कि वह यूक्रेन पर हमले की योजना बना रहा है, लेकिन ताजा घटनाक्रम व बढ़ते तनाव से पश्चिमी एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। अमेरिकी कंपनी मैक्सर टेक्नालॉजी द्वारा जारी उक्त तस्वीरों में नजर आ रहा है कि रूस ने यूक्रेन सीमा के समीप सैन्य शिविर बना लिए हैं। यहां तैनात सैन्य इकाइयों के पास मिसाइलें, विमान भेदी मिसाइलें व अन्य गोलाबारूद है।
अमेरिका को मार्च के अंत तक आक्रमण की आशंका
उधर, अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया है कि यूक्रेन पर बड़ा हमला करने से रूस अब कुछ ही कदम दूर है। रूस ने यूक्रेन पर हमले की 70 फीसदी तैयारी पूरी कर ली है। फरवरी के मध्य से यूक्रेन की सीमा तक अतिरिक्त रसद, भारी उपकरण व हथियार पहुंचाने के लिए स्थितियां अनुकूल होने पर रूस यूक्रेन पर हमला करेगा।
एक लाख से ज्यादा सैनिक सीमा पर पहले से तैनात हैं, लेकिन लगातार रूस हमले की तैयारी को नकारते हुए कह रहा है कि उसके सैनिक वहां अभ्यास कर रहे हैं। हालांकि, अमेरिका और नाटो सहयोगियों का मानना है कि इसके पीछे रूस का इरादा यही है कि यूक्रेन को अपनी रक्षा के लिए तैयार होने का मौका नहीं दिया जाए। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि वे नहीं जानते कूटनीतिक प्रयासों की संभावना शेष होने के बाद भी रूस के राष्ट्रपति इस तरह का आत्मघाती फैसला क्यों लेने जा रहे हैं।
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