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अब GIS बेस्ड मिलेंगी Development Permission

March 14, 2022

  • टीएंडसीपी पेपरलेस वर्किंग करेगा, नोटशीट या फाइल सबकुछ ऑनलाइन रहेगी

भोपाल। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर समेत प्रदेश 34 शहरों में कॉलोनी निर्माण, मैरिज गार्डन, पेट्रोल पंप, वेयरहाउस समेत किसी भी तरह का विकास कार्य करने के लिए जीआईएस बेस्ड परमिशन जारी होंगी। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने भोपाल में इसकी शुरूआत कर दी है। अब नक्शा बनाने के लिए आर्किकटेक्ट का मौके पर जाना जरूरी होगा। टीएंडसीपी ने मैपआईटी के साथ ऑटोमैटिक लेआउट प्रोसेस अप्रूवल एंड स्क्रूटनी सिस्टम फेस टू शुरू किया है। इसमें जिस जमीन पर विकास अनुमति चाहिए, वहीं पर जाकर जीआईएस लोकेशन लेकर लेआउट बनाना होगा। यही नहीं, इसके बाद की सारी प्रोसेस फाइल या नोटशीट की बजाय ऑनलाइन होंगी। टीएंडसीपी के अफसर सर्वे रिपोर्ट से लेकर परमिशन लेटर या फाइनल लेआउट ऑनलाइन जारी करेंगे। टीएंडसीपी के सहायक संचालक हरियोम माहेश्वरी ने बताया कि अमेरिका तक नक्शे ऑटोकेट बेस्ड सॉफ्टवेयर पर बनते हैं लेकिन भारत में मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन गया है जहां जीआईएस बेस्ड नक्शे बनने लगे हैं। टीएंडसीपी कमिश्नर मुकेश चंद्र गुप्ता ने बताया कि हम आर्किटेक्ट और आवेदक दोनों को ही नए सिस्टम की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इस सिस्टम के आने से आवेदक को टीएंडसीपी दफ्तर के चक्कर बार-बार नहीं काटने होंगे। सिस्टम और ज्यादा पारदर्शी होगा।


सॉफ्टवेयर खुद ही मास्टर प्लान समेत सभी नियमों की जांच करेगा
टीएंडसीपी की वेबसाइट के जरिए नए सिस्टम में ऑनलाइन लेआउट सबमिट होता है लेकिन अब यह नक्शा जीआईएस कॉर्डिनेट के साथ सबमिट होगा। इससे टीएंडसीपी के पैनल पर ऑनलाइन नक्शा चढ़ जाएगा। इसके साथ ही वहां की सेटलाइट इमेज आ जाएगी। यही नहीं सॉफ्टवेयर खुद ही मास्टर प्लान समेत सभी नियमों की जांच कर लेगा। यदि गलती है तो लेआउट सबमिट नहीं होगा। इंजीनियरों को सर्वे करने के लिए मौके पर अपने जीएसआई कॉर्डिनेट बताने होंगे। वहीं, टीएंडसीपी दफ्तर में कोई फाइल नहीं बनेगी। बल्कि ऑनलाइन ही सारे अफसर अपने कमेंट कर परमिशन जारी करेंगे। फाइनल लेआउट सेटलाइट इमेजरी के साथ चस्पा कर जारी किया जाएगा। ऑनलाइन स्क्रूटनी होने से आर्किटेक्ट तुरंत नक्शे की गड़बडिय़ां सुधार सकेगा। परमिशन में होने वाली गड़बडिय़ां रुकेंगी। यानी यदि मौके पर सड़क नहीं है या फिर ओपन स्पेस आदि कम रखा तो तुरंत पता चलेगा। फाइल का मूवमेंट तेज होगा और विकास अनुमतियों में लगने वाला 60 दिन का समय और कम हो जाएगा। उच्च अधिकारी फाइल की हर अपडेट तुरंत देख सकेंगे।

फिर से करना होगा आवेदन
टीएंडसीपी ने पुराने आवेदक यानी जिन्होंने पुराने साफ्टवेयर के जरिए परमिशन का आवेदन जमा किया है, उन्हें 15 मार्च तक एप्रूव कराने की डेडलाइन दी है। इससे पुराने आवेदक परेशान हैं। उनका कहना है कि वे आर्किटेक्ट से नक्शा समेत सर्वे आदि का कार्य करा चुके हैं। अब यदि 15 मार्च तक परमिशन जारी नहीं हुई तो नए सिस्टम में फिर से अप्लाई करना होगा। इसका मतलब नए सिरे से नक्शे, सर्वे आदि का काम कराना होगा। इसमें समय और पैसा दोनों बर्बाद होंगे। मध्यप्रदेश क्रेडाई के प्रवक्ता मनोज सिंह मीक का कहना है कि बेशक नया सिस्टम अच्छा है, लेकिन पुराने आवेदकों को पुराने सिस्टम से ही परमिशन दी जा सकती है। नए सिस्टम को लागू करना ही है तो नए आवेदकों को इससे आवेदन करना अनिवार्य किया जाना चाहिए।

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