भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

किसानों को अब गांव में मिलेगी ग्रेडिंग की सुविधा

  • किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय बना रहा योजना
  • प्रोसेसिंग सेंटर के माध्यम से किराए पर मिलेंगी मशीनें

भोपाल। मंडियों में अपनी फसल बेचने जाने वाले किसानों को अब ग्रेडिंग (श्रेणीकरण) के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए अब गांव में ही ग्रेडिंग की सुविधा मिलेगी। शिवराज सरकार की इस नई योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में उपज की ग्रेडिंग के लिए मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी। कस्टम हायरिंग सेंटर (कृषि संबंधी उपकरण उपलब्ध कराने वाले केंद्र) या प्रोसेसिंग सेंटर के माध्यम से मशीनें किराए पर मिलेंगी। अप्रैल से योजना लागू करने की तैयारी है। उपज की ग्रेडिंग होने का लाभ यह होगा कि किसान मंडी में व्यापारी से मोलभाव कर सकेगा। अभी व्यापारी उपज की गुणवत्ता में कमी बताकर उचित भाव नहीं देते हैं, वहीं ग्रेडिंग मशीनों के संचालन से रोजगार के अवसर भी बनेंगे। ग्रेडिंग मशीन सहित अन्य उपकरणों के लिए 40 प्रतिशत तक अनुदान भी दिलाया जाएगा। प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उपार्जन के अलावा किसान मंडियों में सीधे व्यापारियों को गेहूं,चना, मूंग, अरहर, सोयाबीन और धान आदि बेचते हैं। नीलामी में व्यापारी उपज की गुणवत्ता में कमी निकालकर उसके भाव कम लगाते हैं। उपज वापस ले जाने के झंझट से बचने के लिए किसान कम कीमत पर भी इसे बेचना ठीक समझता है और इससे उसे नुकसान होता है। हर किसान तक ग्रेडिंग की सुविधा उपलब्ध कराने से उपज की दो-तीन श्रेणियां तैयार हो जाएंगी और वह हर श्रेणी की गुणवत्ता के आधार पर व्यापारी से मोलभाव कर सकेगा।


तो अधिक मूल्य मिलेगा
प्रदेश में 3000 से ज्यादा कस्टम हायरिंग सेंटर हैं। एक कस्टम हायरिंग सेंटर से पांच से लेकर दस गांवों के किसानों को कृषि उपकरण किराए पर दिए जाते हैं। इनका विस्तार किया जाएगा। कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी का कहना है कि किसानों को उपज का अधिकतम मूल्य मिले, अब इस पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। किसान उपज को सीधे ट्राली में भरकर मंडी में लाने के बजाय सफाई और ग्रेडिंग करवाकर उपज लाएं तो अधिक मूल्य मिल सकता है।

किसानों की आय बढ़ेगी
संचालक कृषि अभियांत्रिकी राजीव चौधरी के अनुसार हाल ही में प्रस्तुत प्रदेश के बजट में इस नई योजना के लिए प्रविधान रखा गया है। अगले वित्त वर्ष (अप्रैल) से यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। ग्रेडिंग करके उपज बेचने से किसानों की आय तो बढ़ेगी ही, इन मशीनों के संचालन से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। योजना के दिशानिर्देश को अंतिम रूप दिया जा रहा है। प्राथमिक प्रसंस्करण (ग्रेडिंग) को प्रोत्साहन देने के लिए योजना में अभी प्रतीक स्वरूप आर्थिक लाभ के कई प्रविधान किए जा रहे हैं।

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