
नई दिल्ली: हिंदू धर्म (Hindu Religion) में दैनिक जीवन में पूजा-पाठ (worship) को भी विशेष महत्व दिया जाता है. हिंदू धर्म में भगवान की वंदना के साथ मूर्ति पूजा की भी अवधारणा स्वीकार की गई है. जो लोग रोजाना सुबह-शाम पूजा करते हैं वे इस बात को बखूबी जानते हैं कि पूजन के लिए समय और काल (time and time) का विशेष ध्यान रखा जाता है. जिस प्रकार सुबह की पूजा का बेहद खास महत्व है, उसी तरह शाम की पूजा भी खास मानी जाती है.
शाम की पूजा के नियम: हिंदू धर्म की परंपरा को मानने वाले लोग घर में दो वक्त पूजा करते हैं. एक बार सुबह और दूसरी बार शाम के समय. हालांकि बहुत कम लोग इस बात के जानते हैं कि इन दोनों समय की पूजा की विधि में कुछ अंतर है. शाम की पूजा के वक्त कुछ विशेष सावधानियां बरतनी होती है. जिसका ध्यान हर व्यक्ति को रखना चाहिए.
शंख बजाना: घर हो या मंदिर इन दोनों जगहों पर सूर्यास्त के वक्त भगवान की पूजा और अर्चना की जाती है. लेकिन अगर आप सूर्यास्त के बाद या रात के वक्त पूजा करते हैं तो न तो शंख बजाना चाहिए और न ही घंटी बजानी चाहिए. मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद देवी-देवता भी शयन के लिए चले जाते हैं. ऐसे में उन्हें जगाना नहीं चाहिए.
तुलसी की पत्तियां: भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल विशेष रूप से किया जाता है. अगर पूजा रात में करनी हो तो सूर्यास्त से पहले ही तुलसी के पत्तों को तोड़कर रख लेना चाहिए. तुलसी के पत्ते रात में तोड़न से बजना चाहिए.
सूर्य देव: शास्त्रों में भगवान सूर्य की पूजा के लिए दिन का समय सर्वोत्तम माना गया है. दिन में किसी भी देवी-देवता की पूजा में सूर्य देव का आवाह्न और पूजन अनिवार्य माना गया है. ऐसे में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए. हालांकि रात के समय ऐसा नहीं करना
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