भारतीय सिनेमा जगत (Indian cinema) के विख्यात अभिनेता पृथ्वीराज कपूर (Actor Prithviraj Kapoor) हम सब के बीच नहीं हैं। लेकिन आज भी हिंदी सिनेमा जगत में दिवंगत अभिनेता पृथ्वीराज कपूर (Actor Prithviraj Kapoor) का नाम बड़े ही आदर और सम्मान से लिया जाता है। पृथ्वीराज कपूर का जन्म 3 नवंबर 1906 को पंजाब के लायलपुर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में फैसलाबाद के नाम से जानी जाती है। पृथ्वीराज कपूर के परिवार में किसी तरह का कोई फिल्मी माहौल नहीं था, इसके बावजूद पृथ्वीराज कपूर को बचपन से ही अभिनय का शौक था। अपने इसी शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने लायलपुर और पेशावर के थियेटरों से अपने अभिनय की शुरुआत की। साल 1928 में वह अपने एक रिश्तेदार से कर्ज लेकर महज 22 साल की उम्र में अपनी पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ कर फैसलाबाद से मुंबई आ गए और यहां इम्पीरियल फिल्म कंपनी के साथ जुड़ गए और कई नाटकों में हिस्सा लेने लगे। साल 1928 में पृथ्वीराज ने फिल्म ‘दो धारी’ से हिंदी सिनेमा में कदम रखा। यह एक मूक फिल्म थी और इसमें वे सहायक भूमिका के रूप में नजर आये। लेकिन जल्द ही उन्हें साल 1929 में आई मूक फिल्म ‘सिनेमा गर्ल’ में मुख्य भूमिका के रूप में अभिनय करने का मौका मिला।
पृथ्वीराज कपूर Prithviraj Kapoor को भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ में अभिनय करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।साल 1931 में प्रदर्शित हुई इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर सहायक भूमिका में थे।इसके बाद पृथ्वी ने कई फिल्मों में मुख्य एवं सहायक भूमिकाओं में अपने शानदार अभिनय का परिचय दिया । साल 1930 में पृथ्वी अपने परिवार के साथ मुंबई बस गए थे और यहीं के होकर रह गए। साल 1960 में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ भारतीय सिनेमा की यादगार फिल्मों से एक है। फिल्म में पृथ्वीराज कपूर ने अकबर का किरदार निभा कर दर्शकों के दिलों में अभिनय की अमिट छाप छोड़ी। फिल्म जगत में सफलता की ऊंचाइयां छूने के बावजूद पृथ्वीराज कपूर का थियेटर से लगाव कम नहीं हुआ और साल 1944 में उन्होंने पृथ्वी थिएटर की स्थापना की।
पृथ्वीराज कपूर Prithviraj Kapoor की कुछ यादगार फिल्मों में विद्यापति, सिकंदर, दहेज, जिंदगी , आसमान महल , तीन बहुरानियां आदि शामिल हैं। साल 1971 में पृथ्वीराज ने अपने बेटे राज कपूर के प्रोडक्शन और पोते रणधीर कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘कल आज और कल’ में अभिनय किया। इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर की तीन पीढ़ियां एक साथ पर्दे पर नजर आईं। यह फिल्म पृथ्वीराज कपूर की आखिरी फिल्म थी।
हिंदी सिनेमा और भारतीय रंगमंच की आजीवन सेवा करने वाले पृथ्वीराज कपूर का 29 मई ,1971 को 64 वर्ष की उम्र में कैंसर से निधन हो गया। पृथ्वीराज कपूर को 1954 और1956 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और साल 1969 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साल 1972 में मरणोपरांत उन्हें भारत सरकार ने दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया था।
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