
- शुल्क कम होने पर ही जुड़ेंगे उपभोक्ता, बिजली कंपनी के जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
भोपाल। महंगी होती बिजली से बचने के लिए सौलर एनर्जी एक बेहतर विकल्प है। सरकार भले ही ग्रीन एनर्जी को बढ़ाने की दिशा में काम कर रही हो लेकिन बिजली कंपनी अभी तक न तो एजेंसी तय कर सकी है न ही सब्सिडी को लेकर कोई निर्णय हुआ है। इससे उपभोक्ता भी परेशान हैं। स्टील और पैनल के दाम बढऩे से पैनल लगवाना भी महंगा हो रहा है। रूफटॉप सोलर पैनल योजना के लिए ऊर्जा विकास निगम पहले नोडल एजेंसी थी। अब विद्युत वितरण कंपनी को यह जिम्मा सौंपा गया है। जानकारों का कहना है कि न तो पोर्टल पर सब्सिडी का कॉलम ही डिस्प्ले हो रहा है न ही कोई एजेंसी इसके लिए फाइनल की गई है। पूर्व में कार्यरत एजेंसियों का अनुबंध दिसंबर से खत्म हो चुका है। करीब 11 कंपनियां इस क्षेत्र में काम कर रहीं थी।
40 फीसदी तक सब्सिडी केंद्र सरकार रूफटॉप सोलर पैनल योजना के तहत लोगों को कन्वेंशनल एनर्जी से सोलर एनर्जी के मोड पर ले जाने के लिए 1 से 3 किलोवॉट तक के पैनल लगवाने पर 20 से 40 फीसदी की सब्सिडी दे रही थी। पहले ही कम सब्सिडी के कारण ज्यादा उपभोक्ता आकर्षित नहीं हो पा रहे थे और सब्सिडी की राशि बढ़ाने की मांग की जा रही थी। एक किलोवॉट में 45 हजार होता था खर्च जानकारों का कहना है कि वैश्विक हालातों के चलते सोलर पैनल में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण के दाम बढऩे के कारण इसमें 10 से 20 फीसदी का इजाफा होने की संभावना है। पूर्व तक प्रति किलोवॉट 37 हजार रुपए खर्च आता था। इसमें बाद में जीएसटी को भी जोड़ा गया।यह हो जरूरी
- शुल्क कम से कम हो निर्धारित
- विकल्प में रहें ज्यादा से ज्यादा कंपनी
- कंपनियों पर हो गुणवत्ता की जवाबदेही
- मध्यम वर्गीय उपभोक्ता हो प्रोत्साहित
किलोवॉट के अनुसार खर्च
- 37,000 रुपए एक किलोवॉट
- 70,000 रुपए दो किलोवॉट
- 1.11 लाख तीन किलोवॉट