
उज्जैन। दिसंबर में तेज सर्दी के चलते हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढऩे लगे हैं। चरक अस्पताल में दिसंबर के 25 दिन में 200 मरीज इलाज कराने के लिए पहुँचे हैं। इन मरीजों में हार्ट और लकवा के अलावा श्वांस के मरीज भी शामिल हैं। राहत की बात यह है कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल मरीजों का आंकड़ा कम है। उल्लेखनीय है कि सर्दी का मौसम शुरू होते ही पुरानी बीमारियों जैसे बीपी, डायबिटीज, हृदय रोग, श्वांस, दमा तथा अस्थमा के मरीजों पर सबसे ज्यादा अटैक पड़ रहा है। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों में से 30-45 प्रतिशत इसी तरह के हैं। रोज 7 से 8 मरीज आ रहे हैं। इनमें से कई मरीजों को भर्ती करने की जरूरत पड रही है। रात में स्ट्रोक के मरीज सबसे ज्यादा आ रहे हैं। कारण कि इसी समय स्ट्रोक का सबसे अधिक खतरा रहता है। पिछले एक सप्ताह में जिले के कई लोगों की हार्ट अटैक से मौत हुई है। इमरजेंसी में पिछले सप्ताह से ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है। यानी हल्की सर्दी के साथ सुबह और देर रात की ठंड ने दिक्कत बढ़ाई है।
ठंड के कारण वायरल भी बढ़ा
फिजिशियन डॉ. जितेंद्र शर्मा ने बताया कि सर्दी के दिनों में शरीर में खून का संचार कम हो जाता है। साथ ही प्रदूषण, स्मॉग, स्मोक से दिक्कतें बढ़ जाती हैं। इससे अस्थमा का अटैक पड़ सकता है। सांस संबंधी किसी भी बीमारी के मरीज को बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करना चाहिए। अभी ठंड के कारण सर्दी और वायरल बुखार के मरीज भी बढ़े हैं। बता दें कि कोरोना काल के बाद हार्ट, बीपी, लकवा के मरीजों में इजाफा हुआ है। इसकी वजह कोरोना के इलाज में बड़ी मात्रा में स्टेरॉयड दवाओं का उपयोग किया जाना है। इससे हृदय पर दबाव बढ़ा है। शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं। वहीं पिछले साल की अपेक्षा इस साल मरीजों का आंकड़ा कम होना लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता को दर्शाता है।
इन बातों का रखे ध्यान..
हृदय और श्वांस संबंधी बीमारियों के मरीज बढऩे की एक वजह कोविड काल और प्रदूषण भी है। इसकी वजह से खराब हुए फेफड़े भी इन बीमारियों के लिए कुछ हद तक जिम्मेदार हैं। ऐसे में एकदम ठंडे से गर्म व गर्म से ठंडे माहौल में नहीं जाएं, गलत खानपान, तला या भुना, अधिक मसालेदार खाने से दिक्कत हो सकती है।
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