
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की वैधता (Maharashtra Assembly elections Validity) को चुनौती देने वाली एक याचिका (Challenging Petition) पर विचार करने से सोमवार इनकार कर दिया और कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ चेतन चंद्रकांत अहिरे द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। अहिरे ने अपनी याचिका में फर्जी मतदान के आरोपों पर चुनाव की वैधता पर सवाल उठाए थे। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इससे पहले 25 जून, 2025 को यह याचिका खारिज कर दी थी।
विक्रोली निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता अहिरे ने अपनी याचिका में दावा किया था कि 20 नवंबर, 2024 को हुए विधानसभा चुनावों में मतदान के दिन शाम 6 बजे मतदान समाप्त होने के बाद 75 लाख फर्जी मतदाताओं ने वोट डाले। उन्होंने महाराष्ट्र राज्य विधानसभा चुनाव के पूरे चुनाव को चुनौती दी थी, जिसके परिणाम 24 नवंबर, 2024 को घोषित किए गए थे।
याचिकाकर्ता का दृष्टिकोण बेहद लापरवाह
हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि राज्य विधानसभा चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता, और विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के संदर्भ में हास्यास्पद दावे किए गए थे। अदालत ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ता का दृष्टिकोण बेहद लापरवाह था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, “हम इस बात से भी हैरान हैं कि ‘डाले गए वोट’ और ‘मतदान वाले वोट’ में विसंगतियों के सिद्धांत को प्रचारित करने वाले एक अखबार के लेख के आधार पर एक रिट याचिका कैसे दायर की जा सकती है। इस आधार पर अनुच्छेद 226 के तहत याचिका को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता।”
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता ने फर्जी मतदान के अपने आरोप को पुष्ट करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया और यह भी कि किसी चुनाव को चुनौती देने के लिए रिट याचिका दायर नहीं की जा सकती क्योंकि यह चुनाव याचिका के माध्यम से ही किया जाना चाहिए।
ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं जो…
इसके बाद याचिकाकर्ता चेतन अहिरे ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। हालाँकि, जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन के सिंह की पीठ ने अहिरे की अपील खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था, “ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है कि महाराष्ट्र राज्य के किसी भी मतदान केंद्र पर कोई अप्रिय घटना/धोखाधड़ी हुई हो। इसलिए, हम यह समझने में विफल रहे कि कानून में स्वीकार्य किसी ठोस सामग्री के अभाव में, जो बूथवार भी होनी चाहिए, कैसे कोई धोखाधड़ी वाला मतदान हुआ या मतदान हुआ ही नहीं।” (एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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