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4 साल से बिल राज्यपाल के पास पेंडिंग, आप कैसे इसे झुठला सकते हैं? तुषार मेहता से बोले CJI

September 11, 2025

नई दिल्‍ली । राष्ट्रपति रेफरेंस(Presidential Reference) पर सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) की पांच सदस्यीय संविधान पीठ(member constitutional bench) ने बुधवार को यह स्पष्ट किया कि वह अप्रैल में डिवीजन बेंच(Division Bench) द्वारा दिए गए फैसले की सही-गलत परख नहीं करेगी, बल्कि केवल उन सवालों का जवाब देगी जो राष्ट्रपति(President) द्वारा उठाए गए हैं। मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने कहा, “हम इस फैसले की शुद्धता का परीक्षण नहीं कर रहे हैं। यह नहीं देख रहे कि इसे बड़ी पीठ के पास भेजा जाना चाहिए था या नहीं। हम पंडोरा बॉक्स नहीं खोल सकते। हम सिर्फ वही सवाल देखेंगे जो राष्ट्रपति रेफरेंस में उठाए गए हैं।”


सुनवाई के दौरान पीठ ने केंद्र सरकार से यह सवाल किया कि कुछ राज्य सरकारें जो कह रही हैं कि राज्यपाल बिल लंबित रख रहे हैं, उसे झूठी चिंता कैसे कहा जा सकता है? CJI गवई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, “आप यह कैसे कह सकते हैं कि यह झूठी चिंता है, जब चार-चार साल से बिल राज्यपाल के पास लंबित हैं?”

तुषार मेहता ने दलील दी कि 1970 से अब तक कुल 17,000 विधेयकों में से केवल 20 बिल ही राज्यपालों ने रोके हैं। साथ ही 90% बिलों को एक महीने के भीतर मंजूरी मिल जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि “राज्यपाल कोई सुपर चीफ मिनिस्टर नहीं हैं। बिल रोकने का अधिकार सिर्फ उसी स्थिति में है जब उसमें कुछ गंभीर रूप से असंवैधानिक हो। यह शक्ति मनमाने तरीके से इस्तेमाल नहीं की जा सकती।”

पीठ ने मौखिक तौर पर कहा, “हमें अपने संविधान पर गर्व है। पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है, देखिए। कल ही नेपाल में जो हुआ उसे भी देखिए।” साथ ही पीठ ने यह भी साफ किया कि वह आंकड़ों में नहीं जाएगी, बल्कि केवल उन संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या करेगी जिन पर राष्ट्रपति रेफरेंस आया है।

सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा कि संविधान पीठ का फैसला मात्र राय से नहीं होगी, बल्कि इस दौरान कानून का भी ध्यान रखना होगा।

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