
सुठालिया: राजगढ़ जिले (Rajgarh District) के सुठालिया तहसील के नेवज गांव (Nevaj Village) में रहने वाली मंजू सौंधिया (Manju Saundhiya) की जिंदगी एक अनजानी बीमारी (Unknown Disease) की गिरफ्त में फंस गई है. पिछले तीन साल से उनकी आवाज घर में गूंजती रहती है, “मुझे रोटी (Bread) चाहिए… और फिर से रोटी चाहिए.” यह कोई सामान्य भूख नहीं है, बल्कि एक मानसिक विकार का संकेत है. जिसमें मरीज को यह भ्रम होता है कि उसने खाना नहीं खाया, जबकि असलियत में वह लगातार रोटी खा रही होती है.
तीन साल पहले तक मंजू एक सामान्य गृहिणी थीं. उनका विवाह ग्राम सिंगापुर के राधेश्याम सौंधिया से हुआ और उनके दो छोटे बच्चे हैं – छह साल की बेटी और चार साल का बेटा. तब तक उनकी जिंदगी सामान्य और खुशहाल थी. लेकिन अचानक उनकी आदतों में बदलाव आने लगा. पहले हल्की कमजोरी और बार-बार खाने की इच्छा, जो धीरे-धीरे विकार में बदल गई. अब मंजू का पूरा दिन रोटी और पानी के बीच बीतता है. कभी 20 रोटियां, कभी 60-70, फिर भी कहती हैं – “मुझे भूख नहीं लगती, बस रोटी चाहिए.”
परिजनों का कहना है कि एक समय तो मंजू की भूख ने पूरे परिवार की जिंदगी मुश्किल कर दी. उन्होंने मंजू के इलाज की हर संभव कोशिश की. राजस्थान के कोटा, झालावाड़, इंदौर, भोपाल, राजगढ़ और ब्यावरा के डॉक्टरों से संपर्क किया गया. डॉक्टर कोमल दांगी ने बताया कि छह माह पहले मंजू उनके पास आई थीं. उपचार के दौरान उन्हें भर्ती किया गया, मल्टीविटामिन दी गई और साइकॉटिक डिसऑर्डर का निदान हुआ. इस बीमारी में मरीज को लगता है कि उसने खाना नहीं खाया, इसलिए बार-बार रोटी खाने की आदत बन जाती है.
मंजू की स्थिति और भी जटिल हो गई क्योंकि अन्य दवाओं से उन्हें लूज मोशन की समस्या हो जाती है. डॉक्टरों ने परिवार को सलाह दी कि रोटी के बजाय खिचड़ी, फल और संतुलित भोजन दें ताकि मानसिक रूप से आदत में सुधार आए. मंजू के भाई चंदरसिंह सौंधिया ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि इलाज संभव नहीं है. सरकारी मदद भी अब तक नहीं मिली. उन्होंने प्रशासन और समाजसेवी संगठनों से अपील की है कि उनकी बहन को सही इलाज दिलाया जाए, ताकि वह सामान्य जीवन जी सके.
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