
भोपाल: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण (Backward Class Reservation) को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. लंबे समय से जारी विवाद के बीच भोपाल (Bhopal) में हुई एक अहम बैठक (Important Meeting) में 27% आरक्षण पर आम सहमति बन गई है. माना जा रहा है कि इस सहमति से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में होने वाली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार (State Goverment) और याचिकाकर्ता एकजुट होकर पक्ष रखेंगे, जिससे ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ हो सकता है. भोपाल के पलाश होटल में आयोजित इस बैठक में एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह, याचिकाकर्ता, अधिवक्ता और ओबीसी महासभा के प्रतिनिधि मौजूद थे.
बैठक में एडवोकेट जनरल ने मुख्यमंत्री मोहन यादव का संदेश रखा, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री दोनों ही ओबीसी वर्ग को पूरा 27% आरक्षण देने के पक्षधर हैं. बैठक में एक अहम मुद्दे पर भी सहमति बनी. तय किया गया कि वर्ष 2019 से अब तक होल्ड पर रखे गए 13% पद ओबीसी वर्ग से ही भरे जाएंगे. यह फैसला ओबीसी महासभा की प्रमुख मांगों में से एक रहा है. याचिकाकर्ताओं और सरकार की सहमति के बाद यह संभावना मजबूत हो गई है कि सुप्रीम कोर्ट इस दिशा में सकारात्मक रुख अपनाएगा.
इस बैठक में यह भी तय हुआ कि 23 सितंबर से सुप्रीम कोर्ट में जब इस मामले की नियमित सुनवाई शुरू होगी, तब सरकार और याचिकाकर्ता दोनों मिलकर एकजुट होकर अपना पक्ष रखेंगे. सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल और वरिष्ठ वकील कोर्ट में पेश होंगे, जबकि याचिकाकर्ताओं ने भी अपने वकील की नियुक्ति कर दी है. बैठक में मौजूद अधिवक्ताओं ने राज्य सरकार के इस प्रस्ताव का स्वागत किया. हालांकि कुछ अधिवक्ताओं ने यह भी कहा कि सरकार को अपनी नीति सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करनी चाहिए. ओबीसी पक्ष के अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जवाब पेश करने से पहले सरकार यह साफ करना होगा कि वह 27% आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है.
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