
मुखर होने लगे हैं भाजपा पार्षद
इंदौर नगर निगम की वर्तमान परिषद के कार्यकाल में पार्षदों के काम नहीं हो रहे हैं, इस हकीकत को तो सभी जानते हैं। पार्षद जब भी अपने काम के लिए आवाज उठाते हैं तो उन्हें मिलता है आश्वासन। भाजपा के पार्षदों ने ही कभी पार्टी कार्यालय की बैठक में तो कभी किसी अन्य अवसर पर हमेशा अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर आवाज उठाई है। उनकी यह आवाज जिम्मेदारों ने सुनी और अनसुनी कर दी…। पिछले दिनों जब निगम परिषद की बैठक हुई तो भाजपा के पार्षद इस बैठक में ही मुखर हो गए। विपक्ष की भूमिका निभाने में इन पार्षदों ने कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी। एक तरफ महेश चौधरी ने मोर्चा खोल लिया तो दूसरी तरफ जीतू यादव अपना राग सुना रहे थे…। अभी तो कुछ पार्षदों ने ही अपनी परिषद को कठघरे में खड़ा करना और अधिकारियों पर निशाना लगाना शुरू किया है, लेकिन अब भी यदि हालात नहीं संभाले गए तो यह स्थिति और ज्यादा विस्तार ले लेगी। ऐसी स्थिति से पिछले 3 साल में किए गए विकास को समग्र विकास बताने के दावे की हवा निकलना शुरू हो गई है…
मिश्रा के प्रस्ताव में महापौर की खुशी
भाजपा के नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा की पहल पर इंदौर नगर निगम की परिषद की बैठक में विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 के वार्ड से चुने गए कांग्रेस के पार्षद अनवर कादरी को अयोग्य घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया…इस प्रस्ताव को बैठक में पारित किया गया…परिषद में भाजपा के पास इतना प्रचंड बहुमत है कि किसी भी प्रस्ताव का पास होना बहुत सामान्य बात है…इस स्थिति के बाद भी इस प्रस्ताव के पारित होने पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव बहुत ज्यादा खुश हुए…वे इस प्रस्ताव की मंजूरी को अपने कार्यकाल की एक उपलब्धि के रूप में सभी के सामने रखने लगे…अब यह तो सभी को मालूम है कि इस तरह के प्रस्ताव से शहर की जनता का कोई बहुत ज्यादा सरोकार नहीं है…अलबत्ता पार्षद इस प्रस्ताव के मंजूर होने से अयोग्य घोषित नहीं हो जाएगा…उसे अयोग्य घोषित करने का अधिकार संभागायुक्त के पास है और वहां से भी पार्टी इस बारे में आदेश जारी करवा सकती थी। उसमें नगर निगम के प्रस्ताव की कहीं कोई जरूरत नहीं थी…इसके बाद भी प्रस्ताव लाने, उसे मंजूर करने और इसका जश्न मनाने का पूरा खेल जो हुआ, उसके पीछे के खेल को समझने में राजनीति के जानकार लगे हुए हैं…
गड्ढा रे गड्ढा …. गले पड़ गया.. तो नहीं था कोई जवाब
कांग्रेस ने इस बार निगम परिषद की बैठक में शहर की सडक़ों के गड्ढे के मुद्दे को प्रमुखता के साथ उठाया…इस मामले को लेकर भरपूर शोर मचाया…शहर की जनता सडक़ के इन गड्ढों से परेशान है। जनता की परेशानी को कांग्रेस ने अपना स्वर दिया और भाजपा की परिषद को घेर दिया…यह एक ऐसा मुद्दा था, जिससे भाजपा के पार्षद भी सहमत थे। जब इस मुद्दे पर खूब हल्ला हुआ तो निगम के पास इसका कोई जवाब नहीं था। जवाब के नाम पर यही कहा गया कि अब पैचवर्क करने का काम शुरू हो गया है। शहर की जनता को गड्ढों से मुक्ति मिल जाएगी। यह भी एक आश्वासन था, क्योंकि यह तो सभी को मालूम है कि नगर निगम की माली हालत ऐसी नहीं है कि वह अभी पूरे शहर में गड्ढे भरने का काम भी करवा सके। परिषद के जो नेता इस स्थिति को जानते हैं वह खामोशी की चादर ओढक़र बैठने में ही भरोसा कर रहे हैं…
मधुमक्खी का छत्ता बन गई भाजपा की नगर इकाई
भाजपा नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा नगर इकाई के गठन को लेकर उतने ही गंभीर हैं, जितना प्रदेश संगठन इंदौर की इकाई के गठन को लेकर अपनी गंभीरता का प्रदर्शन कर रहा है। इंदौर से भोपाल तक हर कोई इस नगर इकाई के गठन के मामले को उस समय तक टाल देना चाहता है जब तक कि टाला जा सकता है। नगर इकाई का गठन मधुमक्खी का छत्ता बन गया है। इस छत्ते को जो फोड़ेगा उसे मधुमक्खी काट लेगी। नगर इकाई का गठन जब भी होगा तब असंतोष के स्वर गूंजना निश्चित है। नगर अध्यक्ष को यह मालूम है कि जिस दिन नगर इकाई बन गई उस दिन सबको साधकर चलने की उनकी कोशिश की हवा निकल जाएगी। ऐसे में वह भी चाहते हैं कि जब तक हो सके तब तक सबको आश्वासन दिया जाए और काम अपना चलाते रहा जाए…
कांग्रेस में भी नियुक्ति की चुनौती
भाजपा में तो एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है, इसलिए नियुक्ति में बहुत समस्या है, पर कांग्रेस में तो अब गिने-चुने नेता बचे हैं। इसके बावजूद इन नेताओं के बीच भी जोरदार रस्साकशी है। ऐसे में कांग्रेस में भी नियुक्ति की चुनौती सामने खड़ी नजर आ रही है। पार्टी की ओर से सबसे पहले ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्ति की जाना है। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस द्वारा डेटलाइन भी दी जा चुकी है। पिछला विधानसभा चुनाव लडक़र जनता द्वारा घर बैठा दिए गए नेता चाहते हैं कि उनके विधानसभा क्षेत्र में ब्लॉक अध्यक्ष उनका ही होना चाहिए। शहर अध्यक्ष चिंटू चौकसे चाहते हैं कि उनसे जुड़े लोगों को ब्लॉक अध्यक्ष के पद पर वह एडजस्ट कर दें। बस यहीं से संघर्ष का दौर शुरू हो गया है। शहर कांग्रेस इकाई का गठन तो अभी दूर की बात है। पहली चुनौती तो इन अध्यक्षों की नियुक्ति और फिर बीएलए की नियुक्ति की है। कांग्रेस ने कभी भी ब्लाक बनाकर मतदाता सूची का परीक्षण नहीं किया है। ऐसे में इस बार पहली बार यह काम करना कांग्रेस के नेताओं के लिए जान पर आने जैसा हो गया है।
शोकसभा में भी नहीं छोड़ा
पिछले दिनों सोनकच्छ क्षेत्र के एक सैनिक की अरुणाचलप्रदेश में मृत्यु हो गई। इस सैनिक के शव को राजकीय सम्मान के साथ इंदौर लाया गया और फिर यहां से सोनकच्छ ले जाया गया। वहां सैनिक के अंतिम संस्कार के बाद शोकसभा हुई तो उसमें भी राजनीति हो गई। इस क्षेत्र के पूर्व विधायक सज्जनसिंह वर्मा इस शोकसभा में पहुंचे थे। उन्होंने शोकसभा में ही श्रद्धांजलि देने के दौरान सरकार पर निशाना लगाने और दिवंगत सैनिक के परिवार को एक करोड़ रुपए की सहायता देने की मांग रख दी। इस क्षेत्र के विधायक राजेश सोनकर भी इस शोकसभा में मौजूद थे। उन्होंने भी वर्मा द्वारा लगाए गए आरोपों का श्रद्धांजलि देते हुए ही जवाब दे दिया। अब इस शोकसभा में मौजूद गांव के नागरिक राजनीति के इस स्वरूप को देखकर अचंभित थे। हर कोई यह कह रहा था कि कहीं तो नेतागीरी बंद कर दो… -डॉ. जितेन्द्र जाखेटिया
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