
भारतीय जनता पार्टी के नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा की टीम के गठन को लेकर आज-कल की स्थिति बनी हुई है। कोशिश तो यह की जा रही थी कि दीपावली के त्योहार के पहले ही टीम का गठन कर दिया जाए, ताकि जिन लोगों को पद मिले वह लोग पद की खुशी के साथ उत्साह से दीपावली मना सकें। इस कोशिश के बावजूद ऐसा कुछ भी नहीं हो सका। पार्टी के नेताओं द्वारा अपने समर्थकों को पद दिलवाने के लिए ताकत लगा दिए जाने के कारण नगर इकाई का गठन टल गया। अब एक तरफ तो कहा जा रहा है कि दीपावली का त्योहार होने के बाद नगर इकाई के नाम की घोषणा हो जाएगी तो दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि अब पूरा मामला बिहार के चुनाव तक के लिए टल गया है। वैसे भी प्रदेश के बहुत सारे नेता बिहार के चुनाव में पार्टी के लिए ड्यूटी देने रवाना हो रहे हैं। इन कसरत के बीच नगर इकाई में आने के लिए दावेदारी कर रहे नेताओं ने दीपावली के त्योहार का फायदा उठाया और अपने नेताजी की परिक्रमा करने के साथ ही हर दमदार स्थल पर जाकर भी धोक लगा दी। हर नेता सफलता पाने के लिए अपनी ताकत लगाने में कोई कमी नहीं रख रहा है। अब देखना यह है कि सफलता का सिलसिला कब शुरू होता है….
विजयवर्गीय के पदचिह्न पर सारे नेता…
धनतेरस के दिन बर्तन बाजार में जाकर व्यापारियों से मिलने का सिलसिला कैलाश विजयवर्गीय ने उस समय शुरू किया था, जब वह इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 के विधायक बने थे। उस समय विजयवर्गीय ने जो सिलसिला शुरू किया वह आज तक चल रहा है। हर साल विजयवर्गीय तो धनतेरस के दिन व्यापारियों से मिलने के लिए पहुंचते ही हैं, उसके साथ ही बर्तन बाजार से शगुन के बर्तन भी खरीदते हैं। उनको देखकर भाजपा के दूसरे नेता भी बाजार में जाने लगे। फिर कांग्रेस के नेताओं को भी लगा कि हमें भी व्यापारियों के बीच जाना चाहिए। इसके बाद कांग्रेस के नेताओं ने भी कभी-कभी धनतेरस पर व्यापारिक क्षेत्र में जाना शुरू किया। इस साल कांग्रेस के नए-नए अध्यक्ष बने चिंटू चौकसे भी बाजार में व्यापारियों से मिलने पहुंच गए। अब तो यह दीपावली के त्योहार पर नेताओं का फैशन बन गया है। हर नेता अपने आपको बड़ा नेता बताने के लिए बर्तन बाजार और फिर सराफा में जरूर जाता है। अब इन नेताओं को कौन बताए कि इन बाजारों में जाने से कोई बड़ा नहीं बनता, बल्कि व्यापारियों के साथ दिल लगाने से ऊंचाई मिलती है…
समर्थकों ने बीमार कर दिया..
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पिछले दिनों भोपाल आए थे। उनसे मिलने के लिए पूरे प्रदेश से उनके समर्थक भोपाल पहुंचे थे। इनमें इंदौर के समर्थक भी शामिल थे। इस समय पूरे प्रदेश में सर्दी, जुकाम, वायरल का सीजन चल रहा है। इस दौरान न जाने कौन सा समर्थक बीमारी से पीडि़त था और वह कमलनाथ से मिलने के लिए आ गया। उसने कमलनाथ को भी मुलाकात की याद के रूप में वायरल दे दिया। वैसे तो कमलनाथ अपने इन समर्थकों से मात्र 2 घंटे मिले, लेकिन इस 2 घंटे में उन्हें बीमारी का तोहफा मिल गया। इसके बाद उन्हें इलाज करवाना पड़ा और दिल्ली जाकर आराम करना पड़ा। अब कमलनाथ अपने बीमारी देने वाले समर्थक को ढुंढवा रहे हैं। मालूम करवा रहे हैं कि कौन वायरल से पीडि़त होकर मुझसे मिलने आया… इंदौर के उनके समर्थक एक-दूसरे से पूछ रहे हैं कि क्या तुझे वायरल हुआ था…?
क्या मतलब रहेगा बूथ लेवल एजेंट का?
कांग्रेस की ओर से बूथ लेवल एजेंट, यानी बीएलए नियुक्त करने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार कांग्रेस को हर बूथ का एक एजेंट नियुक्त करना है। इस एजेंट के माध्यम से मतदाता सूची का पुनरीक्षण करवाना है। इस सूची को सामने रखकर यह चेक करवाना है कि कितने फर्जी मतदाताओं के नाम इस सूची में दर्ज किए हुए हैं। ऐसे सारे नामों को चिह्नित करते हुए मतदाता सूची से निकालने की कार्रवाई भी कांग्रेस को बीएलए के माध्यम से करना है। कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति हुए डेढ़ महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है, लेकिन अभी तक कहीं भी बीएलए की नियुक्ति के लिए विचार-विमर्श भी नहीं हो सका है। इसी बीच निर्वाचन कार्यालय द्वारा 8 अक्टूबर से ही मतदाता सूची का पुनरीक्षण शुरू किया जा चुका है। नाम जोडऩे और हटाने का काम 17 अक्टूबर तक करने की घोषणा की गई थी। अब निर्वाचन कार्यालय ने इस तिथि को बढ़ाकर 24 अक्टूबर कर दिया है। इसके बावजूद यह तिथि समाप्त होने तक कांग्रेस के बूथ लेवल एजेंट नियुक्त हो जाएंगे, इसकी कोई संभावना नहीं है।
कहां चला गया जयस…
एमवायएच में चूहों द्वारा कुतर दिए गए दो बच्चों की मौत के बाद आदिवासी संगठन जयस द्वारा एमवाय में बड़ा आंदोलन किया गया था। संगठन ने मेडिकल कॉलेज डीन व अस्पताल अधीक्षक को निलंबित करने की आवाज उठाते हुए आंदोलन किया था। बाद में अस्पताल से कलेक्टर कार्यालय तक रैली निकालकर अपनी मांग सरकार तक भी पहुंचाई थी। अब हर कोई पूछ रहा है कि आंदोलन करने वाले कहां गायब हो गए…इस संगठन की मांग को अभी तक सरकार ने माना नहीं है। सरकारी रिपोर्ट में भी डीन व अधीक्षक घेराबंदी में आ गए हैं। इसके बावजूद संगठन खामोश है। आखिर इस खामोशी का राज क्या है?
अब असहयोग आंदोलन
संगठन सृजन अभियान के तहत कांग्रेस में नियुक्त किए गए अध्यक्षों में से जिन अध्यक्ष की नियुक्ति का कांग्रेस के स्थानीय नेताओं द्वारा विरोध किया जा रहा था उन्होंने अब मैदानी विरोध बंद कर दिया है। इन नेताओं की ओर से पैराशूट एंट्री कर अध्यक्ष बने नेता के साथ असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया गया है। अब अध्यक्ष पद पर दावेदारी करने वाले स्थानीय नेता खामोश बैठे हैं और यह देखने में लगे हैं कि आखिर अचानक अध्यक्ष बनने वाले नेताजी क्या कर लेते हैं। इस स्थिति का सामना इंदौर में जिला अध्यक्ष पद पर नियुक्त विपिन वानखेड़े को करना पड़ रहा है।
विधायकों की खामोशी
सडक़ के गड्ढों से सारे शहर की जनता परेशान है.. इसके बाद भी शहर के सारे विधायक इस मुद्दे पर खामोश हैं…आखिर इन विधायकों की खामोशी का राज क्या है…? -डॉ. जितेन्द्र जाखेटिया
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