
नई दिल्ली । कर्नाटक (Karnataka)में मुख्यमंत्री पद(Chief Minister post) के लिए रस्साकशी(tug of war) चलती ही रही है। कांग्रेस सरकार(Congress government) का नेतृत्व फिलहाल सिद्धारमैया(Siddaramaiah at the moment) कर रहे हैं, लेकिन डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के समर्थक भी मांग करते रहे हैं कि उनके नेता को अब मौका मिलना चाहिए। इसके लिए सिद्धारमैया की बढ़ती उम्र और शिवकुमार की लोकप्रियता का हवाला दिया जाता है।
इस बीच बुधवार को अहम घटनाक्रम हुआ। सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र ने सार्वजनिक ऐलान किया कि उनके पिता का राजनीतिक करियर अब आखिरी दौर में है और उन्हें अब किसी अन्य नेता का मार्गदर्शक बनना चाहिए। लेकिन यतींद्र ने जिस अन्य नेता की बात कही, वह डीके शिवकुमार नहीं हैं बल्कि सतीश जरकिहोली हैं।
साफ है कि सिद्धारमैया खेमा उनके बाद भी डीके शिवकुमार के हाथ में सीएम का पद नहीं देखना चाहता। इससे यह भी स्पष्ट है कि भविष्य में भी कांग्रेस सीएम पद को लेकर रस्साकशी होगी और डीके शिवकुमार को आसानी से इसमें सफलता मिलती नहीं दिख रही है।
बेलगावी में एक कार्यक्रम के दौरान यतींद्र ने कहा, ‘सिद्धारमैया का राजनीतिक करियर अब आखिरी दौर में है। ऐसे समय में उन्हें किसी अन्य नेता का मार्गदर्शक बनना चाहिए। राज्य को इससे गति मिलेगी और कांग्रेस की विचारधारा भी बढ़ेगी।’ उन्होंने इसके साथ ही सतीश जरकिहोली को अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में भी प्रोजेक्ट कर दिया। ऐसा करना सीधे तौर पर डीके शिवकुमार गुट की चिंताएं बढ़ाना है।
यतींद्र ने कहा कि मुझे भरोसा है कि सतीश जरकिहोली जिम्मेदारी अच्छे से संभालेंगे। वह युवा नेताओं के लिए एक रोल मॉडल बनेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे नेता मिलना मुश्किल होता है, जो सिद्धांतों के प्रति समर्पित होते हैं।
सतीश जरकिहोली ऐसे ही हैं। वह अपना काम जिम्मेदारी से करते हैं और उन्हें यह जारी रखना चाहिए। उनके इस बयान से ऐसा लगता है कि शायद डीके शिवकुमार के लिए एक नया चैलेंजर उतारने की रणनीति के तहत सिद्धारमैया खेमा ऐसा कर रहा है। जरकिहोली के खिलाफ शिवकुमार खेमा ज्यादा बोलने से भी बचेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जरकिहोली दलित समाज से आते हैं। वह सिद्धारमैया के कट्टर समर्थकों में से एक हैं, लेकिन शिवकुमार के खिलाफ ही रहे हैं।
कौन हैं सतीश जरकिहोली, जिनका नाम सिद्धा खेमे ने उछाला
सतीश जरकिहोली कर्नाटक के लोक निर्माण विभाग मंत्री हैं। विधानसभा में येमकनमर्दी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। 63 साल के जारकीहोली सिद्धारमैया के वफादार और शिवकुमार के कट्टर विरोधी माने जाते हैं।
स्वयं एक अनुसूचित जाति के नेता होने के साथ-साथ वह अहिंदा समूह के भी एक प्रमुख सदस्य हैं। अहिंदा में अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति को शामिल किया जाता है। सीएम सिद्धारमैया का उनको लंबे समय से आशीर्वाद प्राप्त है। वह रमेश जारकीहोली के भाई हैं, जो पूर्व में कांग्रेसी थे। रमेश ने 2018 में कर्नाटक में भाजपा की जीत के बाद कई विधायकों के साथ पार्टी बदल ली थी। रमेश भाजपा विधायक हैं।
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