
रीवा। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के विन्ध्य क्षेत्र (Vindhya Region) में विवाह की एक अनोखी रस्म (Unique Ritual) होती है जिसे “कलेवा” कहा जाता है. इस रस्म में विवाह के बाद दूल्हा (Groom) व्याहा भात (खाना) खाता है, और इसके दौरान महिलाएं उसे गालियां देती हैं, जिसे कलेवा गारी कहा जाता है. यह रस्म न केवल एक पारंपरिक प्रक्रिया है, बल्कि एक सांस्कृतिक पहचान भी बन चुकी है, जो विन्ध्य विवाहों को विशेष बनाती है।
रीवा (Rewa) सहित समूचे विन्ध्य में विवाह में कई तरह की अनोखी रस्म निभाई जाती है. कुछ रस्मों का जिक्र रामायण और शिव पुराण में भी मिलता है. उन्हीं रस्म में से एक है कलेवा की रस्म इस रस्म को रीवा में काफी उत्साह के साथ लोग मनाते हैं. हिन्दू धर्म में शादियों में कई तरह की रस्में निभाई जाती है, जिसमें एक कलेवा की रस्म भी शामिल है, मौजूदा समय में ये रस्म सबसे ज्यादा चलन में हैं।
इस रस्म दुल्हा और उसके भाई दोस्त सुबह विवाह के बाद भोजन के लिए मंडप के नीचे बैठते हैं और घर की महिलाए सुबह दाल-भात बनाती हैं मंगल गीत गाते हुए और विवाह सम्पन्न होने के बाद दुल्हा इस दाल-भात को खाने आता है. सबसे खूबसूरत बात यह है कि दुल्हा जमीन पर बैठकर कलेवा करता है, जहां उसके साथ उसके भाई दोस्त भी होते हैं. इसके आलावा दुल्हे को मिठाई जरूर खिलाया जाता है।
पूरी रात विवाह की रस्म निभाई जाती हैं, जिसमें दुल्हे को सही से भोजन करने का वक्त नहीं मिलता और सुबह उसे दुल्हन के विदा के बाद दूर का सफर करना होता है, ताकि विदाई के बाद रास्ते में भूख न लगे और अपने घर आराम से पहुंच सके. इस लिए कलेवा कराया जाता है. पुराने दौर में बारात आने और जाने के लिए कोई वाहन सुविधा नहीं थी पैदल चलकर बारात आती जाती थी. इस कारण दुल्हा सहित पूरी बारात भोजन के बाद प्रस्थान करती थी.
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