
इंदौर। खरीदी जाने वाली दवा असली है कि नकली .अब दवा खरीदने वाले उपभोक्ता को एक से भी कम मिनिट में यह पूरी जानकारी मिल जायेगी । दवाई खरीदते वक्त जैसे ही उस पर मौजूद बार कोड स्कैन करेंगे, तत्काल एंड्रॉइड मोबाइल की स्क्रीन पर ड्रग मेडिसिन अथवा दवा की पूरी जन्मकुंडली सामने आ जाएगी।
सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए दवाओं के वेपर के ऊपर बारकोड एवं क्यूआर कोड आधारित ट्रेसबिलिटी को अनिवार्य किया गया है। इसके चलते दवा उपभोक्ता और दवाओ ंके व्यापारियों को मेडिसिन मेन्युफेक्चरिंग से लेकर ड्रग कन्टेन्ट सहित अन्य सम्बन्धित सभी अनिवार्य जानकारी मिल जायेगी। सरकार की इस नियम के चलते ज्यादा डिमांड में रहने वाली या ज्यादा बिकने वाली दवाओं के नाम से बिकने वाली निम्न स्तर की या नकली दवाओं की पहचान तुरन्त उजागर हो सकेगी।
लगभग 12 लाख 50 हजार सदस्य वाले संगठन ,ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी ) ने नकली दवाओं के विरुद्ध सरकार की नई अधिसूचना का स्वागत किया है। संगठन महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि सरकार ने अब वैक्सीन, एंटीमाइक्रोबियल, नारकोटिक एवं साइकोट्रॉपिक ड्रग्स सहित एंटी-कैंसर दवाओं को शेड्यूल एचडब्ल्यू के अंतर्गत लाते हुए बारकोड एवं क्यूआर कोड आधारित ट्रेसबिलिटी को अनिवार्य किया गया है।
सरकार का यह दूरदर्शी कदम न सिर्फ निम्न-स्तरीय और नकली दवाओं के विरुद्ध लड़ाई को मजबूत करेगा बल्कि दवा आपूर्ति श्रृंखला में जनता का विश्वास और भी ज्यादा बढ़ाएगा। दवा निर्माण से लेकर विक्रय तक दवा की ट्रेसबिलिटी सुनिश्चित करना जनस्वास्थ्य की सुरक्षा और फार्मा क्षेत्र की साख बनाए रखने के लिए सरकार की यह सख्ती अत्यंत आवश्यक है।
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