
झांसी: एक साल पहले की वो काली रात, 15 नवंबर 2024… जब झांसी मेडिकल कॉलेज (Jhansi Medical College) के SNCU वार्ड में अचानक लगी आग (Fire) ने 19 मासूम जिंदगियों (Innocent Lives) को हमेशा के लिए बुझा दिया था. चारों तरफ आग का समंदर, झुलसते बच्चे, बिलखते मां-बाप और जलते सपनों की राख का वो मंजर आज भी शहर के लोगों के जेहन में ताजा है. उस रात सिर्फ वार्ड नहीं, कई परिवारों की उम्मीदें भी जलकर खाक हो गईं थी. लेकिन अब एक साल बाद उस दर्दनाक हादसे में न्याय की लौ फिर से जल उठी है.
कानपुर कमिश्नर ने झांसी के डीएम को एक पत्र भेजा है, जिसमें अग्निकांड के मुख्य आरोपियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की गई है. इस पूरी कहानी में सबसे बड़ा मोड़ तब आया, जब एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने RTI के जरिए झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड से जुड़े दस्तावेज़ मांग की और उन कागजों ने सिस्टम की नींद उड़ा दी. रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पूर्व प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर, डॉ. सचिन माहौर, डॉ. कुलदीप चंदेल, डॉ. ओम शंकर चौरसिया और डॉ. सुनीता सहित कई अधिकारी इस हादसे के सीधे जिम्मेदार पाए गए थे.
जांच रिपोर्ट धूल खाती रही, फाइलें बंद दराज में सड़ती रहीं और जिम्मेदारों के चेहरे पर मुस्कान बनी रही. अब जब RTI से सच्चाई बाहर आई, तो कानपुर कमिश्नर ने खुद झांसी डीएम को पत्र लिखकर कहा कि अब वक्त है कि इन गुनहगारों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर कार्रवाई की जाए. झांसी मेडिकल कॉलेज का इतिहास सिर्फ एक हादसे से नहीं, बल्कि लापरवाही और भ्रष्टाचार के अनगिनत किस्सों से भरा पड़ा है.
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