
नई दिल्ली । केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने हाल ही में एक आदेश पारित किया है, जिसमें उसने बताया कि कौन-कौन अपने नाम के आगे डॉ. (डॉक्टर) नहीं लगा सकता है। कोर्ट ने फिजियोथेरेपिस्ट (physiotherapist) और ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट (Occupational therapist), जिनके पास मान्यता प्राप्त मेडिकल क्वालिफिकेशन (Medical Qualification) नहीं है, उनके द्वारा अपने नाम के आगे डॉ. नहीं लगाने का आदेश दिया। जस्टिस वीजी अरुण को बताया गया कि भारतीय चिकित्सा उपाधि अधिनियम, 1916 (प्रदर्श पी1) के प्रावधानों और फिजियोथेरेपी एवं ऑक्यूपेशनल थेरेपी के लिए योग्यता आधारित पाठ्यक्रम (प्रदर्श पी1(ए)) के प्रावधानों के बीच विरोधाभास है।
कोर्ट ने यह भी बताया किया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा फिजियोथेरेपी के लिए योग्यता आधारित पाठ्यक्रम – अनुमोदित पाठ्यक्रम, 2025 में फिजियोथेरेपिस्ट के लिए ‘डॉ.’ के इस्तेमाल को हटाने के संबंध में एक निर्देश था, क्योंकि किसी भी फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता के बिना ‘डॉक्टर’ शीर्षक का इस्तेमाल करना भारतीय चिकित्सा डिग्री अधिनियम का उल्लंघन होगा।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, ‘सक्षम अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए कि बिना मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता वाले फिजियोथेरेपिस्ट और व्यावसायिक चिकित्सक एक्सटेंशन पी1 और पी1(ए) में उल्लिखित ‘डॉ’ का इस्तेमाल नहीं करें।’ अब इस मामले की अगली सुनवाई एक दिसंबर को होगी।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved