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सूडान में दो साल बाद RSF-SAF युद्धविराम पर सहमत, अमेरिका और इन देशों की मध्यस्थता से बढ़ी उम्मीदें

November 07, 2025

खार्तूम। सूडान (Sudan) में दो साल से जारी खूनी संघर्ष (Bloody Conflict) के बीच अब शांति की किरण नजर आ रही है। देश की अर्धसैनिक बल (Paramilitary Force) रैपिड सपोर्ट फोर्स (Rapid Support Force) ने कहा है कि वह अमेरिका (America) के प्रस्ताव पर सूडानी सेना के साथ युद्धविराम (Armistice) के लिए तैयार है। एजेंसी के अनुसार, आरएसएफ ने गुरुवार को कहा कि वह अमेरिका, सऊदी अरब, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात की अगुवाई वाले ‘क्वाड’ समूह की तरफ से सुझाए गए मानवीय युद्धविराम को स्वीकार करने को तैयार है। इस युद्धविराम का उद्देश्य युद्ध से बिगड़ते मानवीय हालात को संभालना और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हालांकि, इस घोषणा पर सूडान की नियमित सेना की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

अमेरिका के अरब और अफ्रीकी मामलों के वरिष्ठ सलाहकार मसाद बुलोस ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि दोनों पक्षों के बीच समझौते की कोशिशें चल रही हैं और उन्होंने सिद्धांत रूप में सहमति दे दी है। बुलोस के मुताबिक, ‘किसी भी पक्ष ने शुरुआत में आपत्ति नहीं जताई है। अब हम समझौते के अहम बिंदुओं पर काम कर रहे हैं।’


इसी बीच, सेना प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान ने गुरुवार को अपने संबोधन में कहा कि उनकी सेना दुश्मन की हार के लिए संघर्ष कर रही है। उन्होंने कहा, ‘जल्द ही हम उन लोगों का बदला लेंगे जिन्हें मार दिया गया या जिन पर अत्याचार हुआ… उन सभी इलाकों में जहां विद्रोहियों ने हमला किया।’

यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब आरएसएफ पर उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी अल-फाशर पर कब्जे के दौरान जनसंहार के आरोप लगे हैं। 26 अक्तूबर को शहर पर नियंत्रण पाने से पहले आरएसएफ ने करीब 18 महीने तक घेराबंदी की थी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आरएसएफ के कब्जे के बाद से 70000 से अधिक लोग अल-फाशर और उसके आसपास के इलाकों से पलायन कर चुके हैं। प्रत्यक्षदर्शियों और मानवाधिकार संगठनों ने बताया है कि शहर में सामूहिक हत्याएं, दुष्कर्म और अत्याचार हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बताया था कि आरएसएफ के कब्जे के दौरान एक बच्चों के अस्पताल में 460 से अधिक मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हुई।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने सितंबर में जारी अपनी रिपोर्ट में आरएसएफ और एसएएफ दोनों को युद्ध अपराधों का जिम्मेदार ठहराया था। इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने नागरिकों पर हमले, हत्याएं और यौन हिंसा जैसे गंभीर अपराध किए हैं। वर्तमान में आरएसएफ का नियंत्रण सूडान के पश्चिमी दारफुर और दक्षिणी हिस्सों पर है, जबकि सेना उत्तर, पूर्व और नील नदी व लाल सागर के आसपास के इलाकों में मजबूत है।

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