शिमला। हिमालच प्रदेश की राजधानी शिमला (Shimla) के उपनगर संजौली में शुक्रवार को विवादित मस्जिद (Disputed mosque) के बाहर फिर तनाव की स्थिति बन गई। यहां जुमे की नमाज अदा करने पहुंचे बाहरी मुस्लिम लोगों को मस्जिद में प्रवेश नहीं करने दिया गया। इस दौरान देवभूमि संघर्ष समिति के सदस्यों और मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच बहस भी हुई, लेकिन किसी भी बाहरी व्यक्ति को मस्जिद के अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली। दरअसल संजौली मस्जिद को नगर निगम आयुक्त और जिला अदालत ने पहले ही अवैध घोषित किया हुआ है। इसी कारण बाहरी लोगों को अंदर जाने से रोका गया। ऐसे में कुछ देर तक माहौल तनावपूर्ण रहा, हालांकि मौके पर मौजूद पुलिस बल ने स्थिति को काबू में कर लिया।
विवाद की आशंका के मद्देनजर मस्जिद और संजौली बाजार में भारी पुलिस तैनाती की गई थी। इस दौरान स्थानीय मुस्लिम समुदाय को तो मस्जिद में जाने दिया गया, लेकिन बाहरी राज्यों से आए लोगों को रोक दिया गया। महिलाओं ने मस्जिद के बाहर से ही उन्हें वापस भेज दिया और बताया कि पहले भी बाहरी लोगों के कारण यहां माहौल बिगड़ा था। उन्होंने आरोप लगाया कि बाहरी राज्यों के कुछ लोग स्थानीय लोगों के घरों में झांकते थे। जिससे कि कॉलोनी में रहने वाले परिवार असुरक्षित महसूस करते थे। इसी वजह से पिछले वर्ष संजौली मस्जिद को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ था और इसकी चर्चा देशभर में हुई थ
संजौली मस्जिद का मामला पहली बार 31 अगस्त 2024 को तब सुर्खियों में आया था, जब मेहली में दो समुदायों के बीच झड़प हुई और एक पक्ष के कुछ लोग मस्जिद में जाकर छिप गए। इससे गुस्साए लोगों ने अगले दिन मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया। मामला बढ़ता गया और शिमला से लेकर प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी प्रदर्शन हुए। 11 सितंबर 2024 को संजौली में फिर उग्र प्रदर्शन हुआ, जिसके दौरान पुलिस को लाठीचार्ज व पानी की बौछार का सहारा लेना पड़ा। इसके बाद मस्जिद को गिराने की मांग तेज हो गई।
तनाव बढ़ने के बीच 12 सितंबर 2024 को मस्जिद कमेटी स्वयं निगम कमिश्नर कोर्ट में पहुंची और मस्जिद के अवैध हिस्से को हटाने की पेशकश की, जिसके बाद स्थिति कुछ हद तक शांत हुई। यह मामला करीब 16 वर्षों तक निगम आयुक्त कोर्ट में चलता रहा और 50 से अधिक सुनवाई के बाद 3 मई को निगम आयुक्त ने पूरी मस्जिद को अवैध घोषित करते हुए इसे हटाने के आदेश दिए।
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