
नई दिल्ली । बिहार चुनाव(Bihar elections ) को इस बार एनडीए ने माय(NDA has my) (मुस्लिम और यादव) समीकरण को माई (महिला और युवा) से साध लिया। एनडीए को मिली प्रचंड जीत(landslide victory) के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि बिहार ने इस बार MY की नई व्याख्या की है। अब माय का मतलब महिला और युवा है। पीएम के इस कथन को चुनाव परिणामों की कसौटी पर देखें तो साफ प्रतीत होता है कि इस बार महिलाओं और युवाओं ने एनडीए के पक्ष में जमकर मतदान किया।
नए समीकरण ने बिहार विधानसभा के लिए चुनकर आए विधायकों के जातीय समीकरण को भी बदलकर रख दिया। 18वीं विधानसभा में इस बार चुनकर आए लगभग आधे विधायक पिछड़ा-अति पिछड़ा समुदाय से हैं। कुल 243 विधायकों में 83 पिछड़ा वर्ग से हैं, जबकि अतिपिछड़ा श्रेणी के 37 विधायक सदन पहुंचने में कामयाब हुए हैं।
वहीं सवर्ण समाज के विधायकों की संख्या 72 है। वहीं आरक्षित सीटों पर 40 दलित और आदिवासी समुदाय के विधायक चुनकर सदन पहुंचे हैं। अल्पसंख्यक समुदाय से जीते विधायकों की संख्या मात्र 11 है, जिनमें एआईएमआईएम के ही पांच विधायक हैं। बिहार में सबसे अधिक आबादी वाली जाति यादव विधायकों की संख्या मात्र 28 रह गई है।
लोजपाआर : 19 में सात सवर्ण विधायक
लोजपा (रामविलास) के जीते 19 विधायकों में सात सवर्ण समाज से हैं। इनमें सबसे अधिक पांच राजपूत और एक-एक ब्राह्मण और भूमिहार समाज से हैं। पांच अनुसूचित जाति के विधायक हैं, जिनमें दो पासवान, एक धोबी और एक रविदास हैं। इनके अलावा सात पिछड़ी जाति से हैं, जिनमें चार वैश्य, दो यादव और एक कुशवाहा हैं। हम (सेकुलर) के जीते पांच विधायकों में चार दलित और एक भूमिहार हैं। रालोमो ने चार सीटों पर जीत दर्ज की है। इसमें दो सवर्ण और दो कुशवाहा यानी पिछड़ा समुदाय से हैं।
राजद : 25 में 11 यादव विधायक पहुंचे सदन में
महागठबंधन में राजद के 25 विधायकों में उसके कोर वोटर माने जाने वाले यादव से 11 और मुस्लिम से तीन विधायक चुनकर आए। सवर्ण समाज से दो विधायक बने। दोनों भूमिहार हैं। वहीं कुर्मी-कुशवाहा से दो और चार ईबीसी श्रेणी के विधायक हैं। तीन अनुसूचित जाति के विधायक चुने गए हैं। कांग्रेस ने छह सीट पर जीत दर्ज की है। इनमें दो मुस्लिम, दो अतिपिछड़ा, एक दलित और एक कुशवाहा हैं।
आईआईपी प्रमुख इंद्रजीत प्रसाद गुप्ता तांती-तत्वा समाज से हैं, जो ईबीसी में है। वामदलों में भाकपा माले के दो विधायकों में एक यादव और एक कुशवाहा हैं। माकपा के एक विधायक कुशवाहा हैं। एआईएमआईएम के पांचों विधायक अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। बसपा एक सीट पर जीत दर्ज की है, जो यादव हैं।
जदयू : 85 विधायकों में पिछड़ा समुदाय से 32
जदयू के 85 विधायकों में पिछड़ा समुदाय से 32, अतिपिछड़ा से 19 विधायक चुने गए। सवर्ण समाज से 18 विधायक चुने गए। वहीं आरक्षित सीटों पर 14 दलित, एक एसटी तो एक अल्पसंख्यक विधायक चुनकर आए हैं। इनमें सबसे अधिक 12-12 कुर्मी और कुशवाहा विधायक बने हैं, जबकि 10 भूमिहार, छह राजपूत, एक कायस्थ और एक ब्राह्मण विधायक बने हैं। पांच वैश्य, सात यादव, एक मुस्लिम के अलावा अतिपिछड़ा समुदाय से 16 विधायक चुनकर आए हैं। दलित समुदाय से 14 विधायक चुनकर सदन पहुंचे हैं।
भाजपा : 89 विधायकों में 19 राजपूत, भूमिहार 12
भाजपा के 89 विधायकों में 19 राजपूत, भूमिहार 12, ब्राह्मण 10 और एक कायस्थ हैं। वैश्य समाज से 11, अतिपिछड़ा से 11, कुशवाहा से सात, कुर्मी से दो, दलित से 12 तो चार यादव विधायक चुने गए हैं।
विस पहुंचे विधायकों में प्रमुख जातियों का विवरण
जाति – 2020 – 2025
राजपूत – 18 – 32
यादव – 55 – 28
वैश्य – 22 – 26
कुर्मी – 10 – 25
कुशवाहा – 16 – 23
भूमिहार – 17 – 23
ब्राह्मण – 12 – 14
पिछड़ा – 21 – 13
कायस्थ – 03 – 02
एससी/एसटी – 40 – 40
मुस्लिम – 14 – 11
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