
जबलपुर। नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय में इन दिनों रजिस्ट्रार के प्रतिष्ठित पद को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी और विश्वविद्यालय के प्रशासनिक गलियारों में चल रही ज़ोरदार चर्चाओं के अनुसार, जल्द ही यहां बड़े प्रशासनिक फेरबदल होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं, जिसकी शुरुआत रजिस्ट्रार की नई पदस्थापना से हो सकती है। इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति के लिए सुगबुगाहट राजधानी भोपाल स्तर पर शुरू हो चुकी है। चर्चा है कि राज्य शासन विश्वविद्यालय के कामकाज को और गति देने के लिए एक नए और अनुभवी प्रशासक को यह जि़म्मेदारी सौंपने पर विचार कर रहा है।
रजिस्ट्रार की दौड़ में तीन कद्दावर नाम
कुलसचिव बनने की होड़ में इस समय तीन बड़े और कद्दावर नाम सबसे आगे चल रहे हैं। ये तीनों ही अनुभवी शिक्षाविद और प्रशासक माने जाते हैं। रीवा विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी, जिनकी प्रशासनिक पकड़ और अनुभव को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। स्टेट ऑफिसर शासन स्तर पर अच्छी पैठ रखने वाले एक अधिकारी भी इस पद के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। मेडिसिन विभाग के प्राध्यापक, जिनकी अकादमिक और प्रशासनिक योग्यता भी उन्हें इस दौड़ में बनाए हुए है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, इन तीनों ही दावेदारों ने इस महत्वपूर्ण कुर्सी को हासिल करने के लिए भोपाल तक एप्रोच लगाना शुरू कर दिया है। पर्दे के पीछे इन तीनों के समर्थक और शुभचिंतक सक्रिय हो चुके हैं, जो उच्च शिक्षा एवं पशुपालन विभाग के अधिकारियों से संपर्क साध रहे हैं। एक ओर जहां नई नियुक्ति की चर्चाएं तेज़ हैं, वहीं दूसरी ओर वर्तमान में रजिस्ट्रार का कार्यभार संभाल रहे अधिकारी भी अपनी कुर्सी बचाने के लिए पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। इस पद को किसी भी सूरत में छोडऩा नहीं चाहते हैं और उन्होंने भी अपनी पदस्थापना बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास शुरू कर दिए हैं। रजिस्ट्रार विश्वविद्यालय का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है, जो कुलपति के बाद सबसे महत्वपूर्ण होता है। विश्वविद्यालय के अकादमिक, वित्तीय और सामान्य प्रशासन का संचालन मुख्यत: रजिस्ट्रार के हाथ में होता है। इसलिए यह पद हमेशा से ही खींचतान का केंद्र रहा है।विश्वविद्यालय और राज्य के पशुपालन सेक्टर के जानकारों का मानना है कि यह बदलाव न केवल प्रशासनिक होगा, बल्कि आगामी दिनों में की नीतियों और कार्यप्रणाली पर भी इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। सबकी निगाहें अब भोपाल पर टिकी हैं कि राज्य शासन कब और किस अधिकारी के नाम पर मुहर लगाता है।
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