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अडानी केस में SG के बयान से कोर्ट में लगे ठहाके, CJI के रिटायरमेंट से जुड़े थे अहम संकेत

November 18, 2025

नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने अडानी ग्रुप(Adani Group) को संपत्ति बेचने(sell property) की अनुमति मांगने वाली सहारा कंपनी(Sahara Company) की याचिका पर सुनवाई छह सप्ताह के लिए टाल दी है। कंपनी ने महाराष्ट्र स्थित एम्बी वैली परियोजना और लखनऊ स्थित सहारा शहर समेत 88 संपत्तियों को अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की अनुमति देश की शीर्ष अदालत से अनुमति मांगी थी। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगे जाने पर चार सप्ताह का समय दिया। अब मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद के लिए निर्धारित की गई है।


अदालत ने सहारा कर्मचारियों द्वारा समूह की कंपनियों से अपने लंबित वेतन जारी करने की मांग वाली याचिकाओं पर भी सुनवाई स्थगित कर दी। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल सहारा की ओर से पेश हुए। सॉलिसिटर जनरल ने यह भी आग्रह किया कि इस मामले में सहकारिता मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया जाए क्योंकि इससे कई सहकारी समितियां प्रभावित हुई हैं।

केंद्र और सेबी को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) और अन्य हितधारकों से भी जवाब मांगा है। जब तीन जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी, तब केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से अनुरोध किया कि क्या इस मामले पर चार हफ्ते बाद सुनवाई हो सकती है? जैसे ही उन्होंने अपनी बात रखी, बेंच के सभी जज हंसने लगे।

CJI से क्या बोले भावी CJI

दरअसल, बेंच की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई इसी हफ्ते रिटायर हो रहे हैं। (मुख्य न्यायाधीश गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे।) बार एंड बेंच के मुताबिक, हंसते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “ऐसा लगता है कि मुख्य न्यायाधीश अपने बाएँ पक्ष की ओर इशारा कर रहे हैं।” बता दें कि पिछले हफ्ते एक और मामले में सरकार के सबसे बड़े वकील ने CJI के रिटायरमेंट के बाद की तारीख मांगी थी। उस पर तब CJI ने टिप्पणी की थी कि लगता है अटॉर्नी जनरल सामने आना ही नहीं चाहते हैं। हालांकि, बाद में वह पेश हुए थे।

34 दावे प्राप्त हुए हैं जिनका खुलासा सहारा ने नहीं किया

इस बीच, वरिष्ठ अधिवक्ता और न्यायमित्र के रूप में कार्यरत शेखर नफड़े ने अदालत को सूचित किया कि उन्हें विभिन्न संपत्तियों के लिए 34 दावे प्राप्त हुए हैं जिनका खुलासा सहारा ने नहीं किया है। सहारा को इन 88 संपत्तियों के बारे में अखबारों में प्रकाशित करने दें। मुझे हर दिन दावे मिल रहे हैं, जिसे या तो सहारा ने बेच दिया है, या पट्टे पर दे दिया है…इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, कई दस्तावेज जाली हैं।

इस पर CJI ने कहा कि अदालत इन सब पर गौर नहीं कर सकती। सभी जवाब दाखिल होने दीजिए। न्यायमित्र शेखर नफड़े ने अदालत को सुझाव दिया कि सहारा को अपनी संपत्तियों का पूरा विवरण एक आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया जाए। लेकिन अदालत ने सोमवार को इस अनुरोध पर कोई निर्देश जारी नहीं किया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि संपत्तियों पर अधिकार का दावा करने वाले पक्ष न्यायमित्र के समक्ष अपने दावे प्रस्तुत करें। अदालत ने निर्देश दिया कि न्यायमित्र विवादित संपत्तियों, दावों से मुक्त संपत्तियों और अस्पष्ट स्वामित्व वाली संपत्तियों की पहचान करते हुए एक वर्गीकरण चार्ट तैयार करेगा।

लंबित वेतन दावों की जांच करने का निर्देश

अदालत ने सहारा को अपने कर्मचारियों के लंबित वेतन दावों की जांच करने का निर्देश दिया। सहारा ने दलील दी कि सेबी बार-बार प्रयास करने के बावजूद कुर्क की गई संपत्तियों की नीलामी नहीं कर पाया है। अपने संस्थापक सुब्रत रॉय के निधन के बाद संपत्तियों के प्रबंधन और निपटान की उसकी क्षमता कमजोर हो गई है। कई संपत्तियां कई आदेशों के अधीन हैं, जिनकी बिक्री के लिए अदालत की अनुमति आवश्यक है। अडानी प्रॉपर्टीज के साथ 88 संपत्तियों की बिक्री के लिए एक टर्म शीट पर जो हस्ताक्षर किए गए हैं वह अदालत की मंजूरी के अधीन है। इससे प्राप्त राशि का उपयोग बकाया देनदारियों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।

यह मुकदमा लंबे समय से चल रहे सहारा-सेबी मामले से उपजा है, जिसमें सहारा की संस्थाओं को 2012 में वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) खरीदने वाले निवेशकों को धन वापसी के लिए 24,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा करने का निर्देश दिया गया था। सहारा का दावा है कि उसने पर्याप्त राशि जमा कर दी है, जबकि सेबी का कहना है कि 9,000 करोड़ रुपये से अधिक अभी भी बकाया है।

देश की शीर्ष अदालत ने 12 सितंबर को सेबी-सहारा खाते से पात्र जमाकर्ताओं को 5,000 करोड़ रुपये वितरित करने की अनुमति दी थी। अगली सुनवाई में सहारा की संपत्तियों की प्रस्तावित बिक्री को नियंत्रित करने वाले कानूनी और वित्तीय ढ़ांचे को स्पष्ट किए जाने की उम्मीद है। लाखों निवेशक, कर्मचारी और सहकारी सदस्य सहारा समूह से जुड़े हुए हैं।

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