
नई दिल्ली। देश में इतिहास और पाठ्यक्रम से जुड़ी बहस एक बार फिर तेज हो गई है। इस बार मामला टीपू सुल्तान (Tipu Sultan) को लेकर दिए गए बयानों का है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Chief Minister Himanta Biswa Sarma) के हालिया बयान के बाद, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन (V. Muraleedharan) ने भी टीपू सुल्तान की “महानता” पर सवाल उठाते हुए NCERT के फैसले का समर्थन किया। वहीं, कांग्रेस ने इन बयानों को इतिहास से छेड़छाड़ करार दिया है
बीजेपी नेता मुरलीधरन ने टीपू की विरासत पर उठाए सवाल
वी. मुरलीधरन ने कहा कि यह समझ से परे है कि टीपू सुल्तान को महान क्यों कहा जाता है, जबकि “केरल के मालाबार क्षेत्र में कोई भी उन्हें महान नहीं मानता।”
उन्होंने आरोप लगाया कि टीपू सुल्तान ने मंदिरों को नष्ट किया, लोगों की हत्या करवाई और मालाबार में लूटपाट को बढ़ावा दिया।
उन्होंने कहा कि NCERT का यह निर्णय स्वागत योग्य है कि अब पाठ्यपुस्तकों में टीपू सुल्तान के नाम के साथ “महान” शब्द का उपयोग नहीं किया जाएगा। उनके अनुसार, “इतिहास को तथ्यों के आधार पर पढ़ाया जाना चाहिए, महिमामंडन के आधार पर नहीं।”
सीएम हिमंत सरमा ने कहा— ‘टीपू-इपू को खत्म कर देना चाहिए’
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी NCERT के हालिया निर्णय का ज़ोरदार समर्थन किया। शनिवार को बोंगाईगांव में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि लंबे समय से इतिहास में ऐसे व्यक्तियों को महिमामंडित किया गया जिनकी भूमिका विवादित रही है।
उन्होंने बेहद तीखे शब्दों में कहा:
“टीपू-इपू को खत्म कर देना चाहिए। जहां भेजना है भेज दो, समुंदर में फेंक दो। उन्होंने अगर ऐसा किया है तो मैं NCERT को धन्यवाद देता हूं।”
सरमा ने कहा कि इतिहास में सुधार की प्रक्रिया बहुत पहले ही शुरू हो जानी चाहिए थी। उनके अनुसार, “हमारी पीढ़ियों को वास्तविक तथ्यों से अवगत कराना जरूरी है, न कि इतिहास को एकतरफा तरीके से प्रस्तुत करना।”
NCERT क्या कर रहा है?
NCERT ने हाल ही में इतिहास की कुछ पुस्तकों में बदलाव किए हैं, जिनमें मुगल सम्राट अकबर और टीपू सुल्तान के नाम से “महान” शब्द हटाने की बात शामिल है।
इन संशोधनों का उद्देश्य, संस्थान के अनुसार, “पाठों में अनावश्यक विशेषणों को हटाना और इतिहास को अधिक तथ्यात्मक व संतुलित रूप में प्रस्तुत करना” है।
हालांकि इन बदलावों को लेकर देशभर में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। बीजेपी इसे “सुधार” बता रही है, जबकि विपक्ष इसे “राजनीतिक मकसद से इतिहास बदलने की कोशिश” कह रहा है।
कांग्रेस ने बताया इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का प्रयास
NCERT के इस कदम और बीजेपी नेताओं के बयानों का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक तथ्य मिटाने की कोशिश है और उन व्यक्तियों के योगदान को कमतर दिखाने का प्रयास है जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा:
“ये लोग 700 साल तक शासन करते रहे। उनके नाम किताबों से हटाने से क्या हासिल होगा? उनके शासन में भारत की GDP 27 प्रतिशत तक पहुंची थी, तभी भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।”
मसूद ने यह भी कहा कि मुगल शासन, टीपू सुल्तान का प्रतिरोध और ब्रिटिशों के खिलाफ संघर्ष भारतीय इतिहास का अभिन्न हिस्सा है, जिसे मिटाया नहीं जा सकता।
राजनीतिक तापमान बढ़ा, बहस आगे और तेज होगी
टीपू सुल्तान का नाम भारतीय राजनीति में हमेशा से विवादों के केंद्र में रहा है। दक्षिण भारत और विशेषकर कर्नाटक में टीपू को लेकर राजनीतिक ध्रुवीकरण लंबे समय से दिखाई देता है। अब NCERT के बदलावों के बाद यह बहस राष्ट्रीय स्तर पर फिर गर्म हो गई है।
बीजेपी जहां इन परिवर्तनों को “ऐतिहासिक सुधार” बता रही है, वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इसे “राजनीतिक एजेंडा” बता रहे हैं।
इस विवाद के बढ़ने की पूरी संभावना है, क्योंकि आने वाले दिनों में शिक्षा नीति, इतिहास लेखन और पाठ्यक्रम सुधार जैसे मुद्दे फिर से राजनीतिक बहस के केंद्र में आ सकते हैं।
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