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भारतीय सेना में 1.8 लाख सैनिकों की कमी, अब हर साल अग्निवीर भर्ती 1 लाख तक बढ़ाई जाएगी

November 26, 2025

नई दिल्‍ली । भारतीय थलसेना (Indian Army) में सैनिकों (soldiers) की कमी लगातार बढ़ती जा रही है। लगभग 1.8 लाख सैनिकों की कमी को पूरा करने के लिए सेना अब हर साल अग्निवीरों (Agniveers) की भर्ती बढ़ाकर 1 लाख से अधिक करने की तैयारी में है। अभी तक यह संख्या 45000-50000 के बीच रही है। 2020 और 2021 के कोविड काल में सेना ने भर्ती प्रक्रिया रोक दी थी। इस दौरान हर साल 60000-65000 सैनिक सर्विस से रिटायर होते रहे। यह वह समय था जब अग्निपथ योजना लागू नहीं हुई थी और पारंपरिक भर्ती प्रक्रिया जारी थी।


अग्निपथ योजना से भर्ती संख्या घटी
अग्निपथ योजना 14 जून 2022 को लागू की गई। इसके तहत तीनों सेनाओं- थलसेना, नौसेना और वायुसेना के लिए कुल 46000 पदों की घोषणा हुई, जिनमें से 40000 पद थलसेना के लिए थे। योजना के अनुसार, चार वर्षों में भर्ती संख्या धीरे-धीरे बढ़कर 1.75 लाख तक पहुंचनी थी। नौसेना और वायुसेना के लिए भी भर्ती संख्या को बढ़ाकर 28700 तक ले जाने की योजना थी।

अग्निपथ शुरू होने के बाद भी बढ़ती रही कमी
2022 से अग्निपथ भर्ती शुरू हुई, लेकिन रिटायरमेंट की दर पहले की तरह 60000-65000 सालाना बनी रही। इससे सेना में प्रति वर्ष 20000-25000 अतिरिक्त कमी जुड़ती चली गई और मौजूदा कमी लगभग 1.8 लाख सैनिकों तक पहुंच गई।

अब हर साल 1 लाख अग्निवीरों की भर्ती की तैयारी
सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मौजूदा कमी को देखते हुए सेना इस साल से अग्निवीर भर्ती बढ़ाकर लगभग 1 लाख प्रतिवर्ष करने जा रही है। इसमें उन सैनिकों की संख्या को भी ध्यान में रखा गया है जो 2026 से अग्निवीर अवधि पूरी होने के बाद सेवा से बाहर होंगे। भर्ती बढ़ाने का निर्णय सभी रेजिमेंटल केंद्रों की प्रशिक्षण क्षमता और मानकों को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा ताकि प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर कोई असर न पड़े।

सेना का आधिकारिक बयान
सेना ने कहा है कि अग्निपथ योजना के पहले चार वर्षों- यानी 2025 के अंत तक कुल 1.75 लाख अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। थलसेना ने बताया- अग्निवीरों की भर्ती मौजूदा कमी को ध्यान में रखते हुए की जाएगी और उसी के अनुरूप रिक्तियां जारी की जाएंगी।

2026 के बाद अग्निवीर भी होंगे रिटायर
2020 तक भर्ती हुए नियमित सैनिकों की सेवानिवृत्ति दर 60000 प्रतिवर्ष आगे भी जारी रहने वाली है। वहीं 2026 के अंत से पहली अग्निवीर बैच के जवान भी चार साल का कार्यकाल पूरा कर बाहर होना शुरू होंगे। इससे नियमित सैनिकों और अग्निवीरों दोनों की सेवानिवृत्ति से सेना में कमी और बढ़ेगी। इसी को देखते हुए अगले तीन से पांच वर्षों में अतिरिक्त भर्ती निकाली जाएगी, जिससे मौजूदा कमी कम की जा सके और रिटायर हो रहे जवानों की जगह नई भर्ती सुनिश्चित की जा सके।

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