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इंदौर: सिर्फ 1 लाख 48,682 मतदाताओं को ही प्रशासन देगा नोटिस

December 10, 2025

इंदौर में 5 लाख 48 हजार मतदाताओं के नाम कटेंगे

इंदौर। जिले में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) एवं सत्यापन अभियान में प्रशासन (Administration) को बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता (voters) मिले हैं, जिनके नाम सूची से हटना तय है। विभाग से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कुल 5,48,714 मतदाताओं के नाम विभिन्न कारणों से हटाने (डिलीशन) का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जबकि केवल 1,48,682 उन मतदाताओं को ही नोटिस जारी किए जाएंगे, जिन्हें नियमों के तहत नोटिस देना अनिवार्य है, शेष मामलों में कारण इतने स्पष्ट हैं कि सीधे कार्रवाई की जा रही है।


जिले में की गई विस्तृत जांच से सामने आया है कि बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता हैं, जो अब इंदौर में निवास नहीं करते, कई स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं, कई लोग पता बदलकर दूसरे शहरों में बस गए, जबकि एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की हैं, जिनके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध ही नहीं हो सकी। इसके अलावा मृत मतदाताओं की भी संख्या हजारों में है, जिनके नाम अब तक सूची में बने हुए थे। निर्वाचन विभाग के मास्टर ट्रेनर पांडे ने आंकड़ों को विस्तार से बताते हुए बताया कि इंदौर के 5 लाख 48 हजार मतदाताओं का नाम कटना तय हैं, उनके अनुसार सिर्फ 1,48,662 मतदाता जो विधानसभा लोकसभा चुनाव के दौरान भूल बस किन्ही कारण से हटा दिए गए थे या जिनके पते की सटीक जानकारी नहीं मिली हैं, उन्हें ही दोबारा सूची में जुडऩे का मौका दिया जाएगा। ऐसे मतदाता जिनका नाम 2003 की सूची में तो है, लेकिन 2024 और 25 में हुए चुनाव के दौरान शामिल नहीं किए गए, उन्हें नोटिस भेजकर दस्तावेज जमा करने के निर्देश दिए जाएंगे।

नोटिस सिर्फ उन्हें जिनके मामले अस्पष्ट
निर्वाचन विभाग के अधिकारियों के अनुसार नोटिस उन मामलों में ही भेजे जा सकते हैं, जहां पता स्पष्ट मिला पर सूची से हट गए हों, मतदाता के स्थानांतरण की पुष्टि नहीं हो पाई हो, पड़ोसियों से विरोधाभासी जानकारी प्राप्त हुई हो या जिनके दस्तावेज अधूरे हों। ऐसे केवल 1.48 लाख पर ही नोटिस जारी होंगे, क्योंकि इन लोगों के बारे में उपलब्ध जानकारी पूरी तरह से निश्चित नहीं है और अंतिम निर्णय से पहले उनके जवाब आवश्यक हैं। बाकी मामलों में प्रशासन के पास पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं, जिनके आधार पर नियमों के तहत सीधे नाम हटाना संभव है।

सत्यापन में सामने आए बड़े तथ्य
इंदौर जिले में पिछले कुछ वर्षों में जनसंख्या वृद्धि, बढ़ते किराएदार, छात्र व पेशेवरों के तेजी से शहर बदलने के चलते बड़ी संख्या में मतदाता ऐसे हैं, जिनका पता बदल चुका है। कई लोग शहर छोडक़र स्थायी रूप से अन्य जिलों या राज्यों में बस गए, लेकिन मतदाता सूची में उनके नाम बने रहे। जिला निर्वाचन कार्यालय के अनुसार इस बार एसआईआर व विशेष सत्यापन अभियान के चलते पहली बार इतने बड़े पैमाने पर सटीक डाटा सामने आया है। ।

नाम हटने के बाद क्या होगा?
नियमों के अनुसार जिन लोगों के नाम हटेंगे वे भविष्य में मतदाता सूची में पुन: शामिल होने के लिए नया फॉर्म 6 भर सकेंगे या वैध पता प्रमाण, फोटो पहचान जमा कर फिर से पंजीयन करा सकेंगे। अब इस प्रक्रिया पर अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया जरूरी है, ताकि मतदाता सूची में सिर्फ वही लोग शामिल रहें, जो वास्तव में बूथ पर वोट देने के पात्र हैं। इससे चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी होगी और गलत प्रविष्टियों पर रोक लगेगी।

किस कारण से कितने नाम हटेंगे
– 1,48,682 मतदाता ऐसे हैं, जिनके पते या दस्तावेज की स्थिति स्पष्ट नहीं होने पर नियम अनुसार नोटिस भेजना अनिवार्य है। इन्हें फिर से जोड़ा जाएगा।
– 2,60,735 मतदाता अनट्रेसेबल/एब्सेंट श्रेणी में पाए गए, यानी सत्यापन के दौरान वे अपने घरों पर नहीं मिले, पड़ोसी भी उनके बारे में जानकारी नहीं दे सके और वे लंबे समय से उस पते पर रहते नहीं दिखे।
– 2,02,603 मतदाता स्थायी रूप से स्थानांतरित श्रेणी में पाए गए।
– 41,675 मृत श्रेणी में चिन्हित किए गए, जिनकी पुष्टि वार्ड स्तर पर मिली जानकारी एवं परिवार से सत्यापन के आधार पर हुई।
– 19,387 ऐसे लोग मिले, जो पहले से किसी अन्य विधानसभा में पहले ही पंजीकृत थे, यानी उनके नाम दो बार दर्ज थे।
– 24,313 नाम अदर श्रेणी में चिह्नित हुए, जिनमें पते की त्रुटि, गलत प्रविष्टि या अन्य तकनीकी कारण शामिल हैं।
इन्हीं सभी श्रेणियों को मिलाकर जिला प्रशासन ने कुल 5,48,714 नामों को मतदाता सूची से हटाने का प्रस्ताव तैयार किया है।

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