
डेस्क: असम (Assam) और अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में सुरक्षा एजेंसियों (Security Agencies) ने पाकिस्तान (Pakistan) के लिए जासूसी (Espionage) करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों में भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) का एक रिटायर्ड कर्मचारी भी शामिल हैं. बीते 10 दिनों में हुई इन गिरफ्तारियों से पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.
सिर्फ बीते 10 दिनों में पकड़े गए पाकिस्तान से जुड़े संदिग्ध जासूसों की संख्या बढ़कर 5 हो गई है. एजेंसियों का मानना है कि यह पूर्वोत्तर में सक्रिय एक बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है. पुलिस और जांच एजेंसियों के मुताबिक, शुरुआती जांच में इस नेटवर्क के चीन से जुड़े होने के संकेत भी मिले हैं. सुरक्षा एजेंसियां इसे हाइब्रिड वॉर रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं, जिसमें जासूसी, घुसपैठ और सैन्य दबाव को एक साथ इस्तेमाल किया जाता है. पुलिस ने साफ कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और जासूसी में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
हाल ही में असम के तेजपुर में पुलिस ने कुलेंद्र शर्मा को गिरफ्तार किया गया है, जो भारतीय वायुसेना से रिटायर्ड जूनियर वारंट ऑफिसर रह चुके हैं. इस मामले में उनसे लगातार पूछताछ जारी है. कुलेंद्र शर्मा की तैनाती पहले तेजपुर एयरफोर्स स्टेशन में थी और वे वर्ष 2002 में रिटायर हुए थे. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने तेजपुर यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में भी काम किया. पुलिस के मुताबिक, खुफिया इनपुट मिलने के बाद कार्रवाई की गई, जिसमें शर्मा के पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स से संपर्क के सबूत मिले हैं.
जांच एजेंसियों के अनुसार, आरोपी टेलीग्राम और सोशल मीडिया के एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म के जरिए सीमा पार सूचनाएं भेज रहे थे. कुलेंद्र शर्मा के मोबाइल और डिजिटल डिवाइस से डिलीट किए गए चैट्स और डेटा के सबूत भी मिले हैं. अरुणाचल से दो और संदिग्ध जासूस पकड़े गए हैं. उसी दिन अरुणाचल प्रदेश पुलिस ने दो और संदिग्धों को गिरफ्तार किया. हिलाल अहमद (26 वर्ष) को वेस्ट सियांग जिला से गिरफ्तार किया गया है. गुलाम मोहम्मद मीर को चांगलांग जिला के गिरफ्तार किया गया है. दोनों आरोपी जम्मू-कश्मीर के रहने वाले बताए जा रहे हैं. पुलिस के अनुसार, ये लोग टेलीग्राम चैनल के जरिए पाकिस्तान को सूचनाएं भेज रहे थे. जांच एजेंसियों का कहना है कि आरोपियों ने सेना की आवाजाही, रक्षा शिविरों की लोकेशन और अन्य संवेदनशील जानकारियां साझा की थीं. समय रहते कार्रवाई कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
जांच एजेंसियों का कहना है कि गिरफ्तार आरोपी स्थानीय समुदायों में घुल-मिलकर स्लीपर सेल तैयार करने की कोशिश कर रहे थे. कुछ बांग्लादेशी युवकों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है. वेस्ट सियांग के एसपी के मुताबिक, यह मामला असम और अरुणाचल से जुड़े बड़े जासूसी मॉड्यूल का हिस्सा हो सकता है. एजेंसियां इसे ऐसी रणनीति मान रही हैं, जिसमें पाकिस्तान प्रॉक्सी की भूमिका निभा सकता है.
रक्षा सूत्रों ने 1999 के करगिल युद्ध का हवाला देते हुए पूर्वोत्तर में संभावित टू-फ्रंट दबाव की आशंका जताई है. फिलहाल भारत ने लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल में करीब 1.20 लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं, लेकिन जासूसी नेटवर्क का फैलाव सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती माना जा रहा है. पूर्वोत्तर भारत में लगातार हो रही इन गिरफ्तारियों से साफ है कि जासूसी नेटवर्क गहराई तक फैला हुआ हो सकता है, जिस पर एजेंसियां अब पूरी सख्ती से कार्रवाई कर रही हैं.
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