
इन्दौर। इंदौर से झांसी जा रहे एक यात्री द्वारा अपनी नाबालिग बेटी का टिकट नहीं जोड़ पाने पर रेलवे द्वारा ज्यादा जुर्माना लगाए जाने की शिकायत की गई है। यह शिकायत रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से लेकर पीएमओ तक की गई है, जिसके बाद रतलाम डीआरएम ने मामले में जांच बैठाई है।
मामला कल मालवा एक्सप्रेस (12919) का है। यात्री जितेन्द्र गुप्ता ने इंदौर से झांसी तक का टिकट तत्काल कोटा में बुक कराया था। उन्होंने बताया कि समयाभाव के कारण वे अपनी नाबालिग बेटी का टिकट तत्काल में जोड़ नहीं सके, जबकि सामान्य बुकिंग में अलग से टिकट बनाना संभव नहीं था। ट्रेन में यात्रा के दौरान टीटीई ने उनकी बेटी का टिकट न होने पर टिकट राशि के साथ 700 रुपए का जुर्माना लगाकर रसीद काट दी। गुप्ता ने इस पर सवाल उठाते हुए एक्स आईआरसीटीसी, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, रेल मंत्रालय, पीएमओ और अन्य संबंधित अधिकारियों को टैग करते हुए लिखा कि टिकट का चार्ज तो ठीक है, लेकिन पेनल्टी क्यों? मैंने टिकट बुक कराने की पूरी कोशिश की थी। समय की कमी के कारण केवल बेटी का टिकट रह गया, जो नाबालिग है।
अगर 100-200 दे देता तो नहीं लगता जुर्माना
यात्री ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को टैग करते हुए यह भी लिखा कि वह अपनी बेटी के लिए टिकट बनवाना चाहते थे इसलिए उन्होंने टिकट की मांग की अगर वह टीटीई को 100-200 रुपए नगद दे देते तो अन्य कई यात्रियों की तरह बिना किसी जुर्माने के वे और उनकी बेटी आसानी से सफर कर सकते थे। इस तरह उन्होंने रेलवे में भ्रष्टाचार की भी शिकायत की है।
जुर्माना सही या गलत, जांच होगी
मामले की शिकायत के बाद डीआरएम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें देखा जाएगा कि टीटीई द्वारा वसूली गई पैनल्टी रेलवे नियमों के अनुसार थी या नहीं। यात्री जितेन्द्र गुप्ता का कहना है कि वे इस जांच में पूरा सहयोग करेंगे, लेकिन साथ ही उम्मीद करते हैं कि रेलवे ऐसे मामलों में यात्रियों को दंडित करने की बजाय व्यावहारिक समाधान निकाले, ताकि भविष्य में किसी को इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
यात्री ने रेलवे की गाइडलाइन भी शेयर की, 250 से ज्यादा नहीं होता जुर्माना
यात्री ने पूरे मामले में जुर्माने की रसीद के साथ रेलवे की गाइडलाइन भी शेयर की है, जिसमें लिखा है कि यदि कोई यात्री बिना टिकट या गलत श्रेणी में यात्रा करते पाया जाता है, तो उसे किराए के अंतर के साथ न्यूनतम 250 रुपए का जुर्माना देना पड़ता है।वहीं, 5 से 12 वर्ष तक के बच्चे आधे किराए के पात्र होते हैं और यदि बिना टिकट पाए जाते हैं तो उनसे भी न्यूनतम 250 रुपए पेनल्टी वसूली जा सकती है।
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