
इंदौर। सिंहस्थ कुंभ मेला 2028 की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए उज्जैन प्रशासन ने एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। इसके तहत पहली बार वॉटर ट्रांसपोर्ट एंड मंदिर दर्शन’ की सुविधा शुरू की जाएगी, जिसमें क्षिप्रा नदी पर नाव-आधारित जल-मार्ग बनाकर शहर के प्रमुख मंदिरों और पवित्र स्थलों को जोड़ा जाएगा।
पांच जल मार्ग, 13 किलोमीटर का सफर
इस योजना में कुल 5 वॉटर रूट विकसित किए जा रहे हैं, जिनकी कुल लंबाई लगभग 13 किलोमीटर होगी। यात्रियों की सुविधा के लिए 29 नए घाट बनाए जा रहे हैं। इन घाटों के साथ स्टॉप डैम भी निर्मित किए जा रहे हैं, ताकि नदी में सालभर पर्याप्त जल स्तर बना रहे और नावों का संचालन निर्बाध हो सके। हर घाट पर जेट्टी (नौका चढ़ने-उतरने का प्लेटफॉर्म) भी तैयार किया जाएगा।
कौन-कौन से मंदिर और घाट जुड़ेंगे
इन स्थानों को जोड़ने के बाद श्रद्धालु जन्म-स्नान, दर्शन और पवित्र यात्रा नाव से आसानी से कर सकेंगे। यह उज्जैन के धार्मिक पर्यटन के लिए किसी कायाकल्प से कम नहीं माना जा रहा।
क्यों जरूरी है यह बोट-योजना
सिंहस्थ 2028 के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए यह योजना बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसके कई फायदे है।
दर्शन और यात्रा में भीड़, ट्रैफिक व धक्का मुक्की से राहत
श्रद्धालुओं के लिए शांत, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा नदी में बने स्टॉप डैम जल-स्तर को स्थिर रखेंगे, जिससे सालभर नाव संचालन संभव होगा। उज्जैन को एक आधुनिक, सुव्यवस्थित और पर्यटक-अनुकूल शहर के रूप में विकसित करने में बड़ी मदद मिलेगी। इस नई पहल से उम्मीद की जा रही है कि उज्जैन आने वाले भक्तों और पर्यटकों को एक अनोखा स्पिरिचुअल क्रूज़ अनुभव मिलेगा, जो धार्मिक पर्यटन को नई दिशा देगा।
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