मुंबई। बॉलीवुड एक्टर विजय वर्मा (Vijay Verma) ने अपनी शानदार एक्टिंग से कई किरदारों को यादगार बना दिया है। गली बॉय में मोइन, दहाड़ में हैदर, मिर्जापुर में भोला और कालकूट में रवीशंकर चौबे, हर रोल में उन्होंने अपनी अलग छाप छोड़ी। उनकी एक्टिंग में एक गहराई है जो ऑडियंस को भीतर तक छू जाती है। लेकिन कम लोग जानते हैं कि पर्दे पर दिखने वाले इस आत्मविश्वास से भरे इंसान के हंसते चेहरे के पीछे एक बुरा दौर भी था, जब विजय वर्मा डिप्रेशन से जूझ रहे थे।
डिप्रेशन में थे विजय
पॉडकास्ट चैप्टर 2 में विजय ने खुलकर बताया कि बचपन में अपने पिता के साथ उनका रिश्ता काफी मुश्किल था। पिता उनसे बहुत उम्मीदें रखते थे, करियर, दोस्त, और यहां तक कि वो अपना वक्त कैसे बिताते हैं, सब पर उनकी राय होती थी। इस दबाव ने विजय के मन में गहरी चोट छोड़ी, जो वक्त के साथ और बढ़ती गई। लॉकडाउन के दौरान जब ज़िंदगी ठहर सी गई, तब उन्हें एहसास हुआ कि वो भीतर से कितने अकेले हो चुके हैं। उन्होंने कहा, “मैं मुंबई के अपने छोटे से फ्लैट में अकेला था, उस छोटी सी छत का आसमान ही मेरा सहारा बना। वहीं मुझे लगा कि मैं खुद से कितना दूर हो चुका हूं।”
इसी दौरान आमिर खान की बेटी आयरा खान उनकी जिंदगी में एक सहारा बनकर आईं। विजय बताते हैं कि जब वो मानसिक रूप से लगातार गिर रहे थे, तब आयरा ने ही उन्हें संभाला। उसने कहा, “विजय, तुम्हें कुछ करना होगा।” उसने उन्हें ज़ूम वर्कआउट्स में जोड़ा और धीरे-धीरे थेरेपी लेने के लिए प्रेरित किया। आयरा ने उन्हें समझाया कि थेरेपी कमजोरी नहीं, बल्कि खुद को बेहतर समझने का तरीका है।
विजय मानते हैं कि अगर बचपन के घावों को ठीक न किया जाए, तो वो उम्रभर साथ चलते हैं। योग और थेरेपी की मदद से उन्होंने खुद को फिर से पाया। आज वो खुले तौर पर कहते हैं, “आयरा ने सही समय पर मेरा हाथ थामा, वरना शायद मैं खुद को खो बैठता।”
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