
नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने पंजाब (Punjab)के उद्योगपति राजिंदर गुप्ता(Industrialist Rajinder Gupta) को राज्यसभा(Rajya Sabha) के लिए अपना उम्मीदवार नॉमिनेट(Candidate nominated) करके अफवाहों के साथ ही पार्टी के भीतर असंतोष को भी शांत करने का प्रयास किया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पार्टी का मेन फोकस 2027 में पंजाब में फिर से बहुमत हासिल करने पर है। दरअसल, पार्टी के पूर्व सांसद संजीव अरोड़ा ने लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ने के लिए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था और जीत हासिल की थी।
संजीव अरोड़ा के इस्तीफे के बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि आम आदमी पार्टी अपने वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को राज्यसभा भेज सकती है। ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह साफ कर दिया था कि वह राज्यसभा नहीं जाएंगे। फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी से हारने के बाद पंजाब ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां ‘आप’ सत्ता में है। इसके अलावा पार्टी के पास गुजरात, गोवा और जम्मू-कश्मीर में भी विधायक हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा कि पार्टी की पसंद को लेकर कई चर्चाएं हुईं, लेकिन संजीव अरोड़ा जी के इस्तीफे के बाद पहले कुछ हफ्तों में ही यह साफ कर दिया गया था कि किसी बाहरी व्यक्ति को उम्मीदवार नहीं किया जाएगा। अरविंद जी या मनीष जी को उम्मीदवार बनाने से गलत संदेश जाता। ऐसा लगता कि वे केवल पद पर बने रहने में रुचि रखते हैं, भले ही पद कोई भी हो। यह साफ था कि पसंद पंजाब से जुड़ा कोई व्यक्ति ही चुना जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि राजिंदर गुप्ता को चुनकर पार्टी यह मैसेज देने में भी कामयाब रही है कि दिल्ली के नहीं बल्कि पंजाब के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी।
‘आप’ के पास पंजाब से राज्यसभा की सात सीटें हैं। इनमें से पांच पंजाब के नेताओं और प्रमुख हस्तियों को दी गई हैं, जिनमें भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह, पर्यावरणविद् बलबीर सिंह सीचेवाल और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के संस्थापक अशोक मित्तल शामिल हैं। दिल्ली के दो नेताओं राघव चड्ढा और संदीप पाठक को भी पंजाब से राज्यसभा भेजा गया है।
एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल सहित पार्टी का अधिकांश नेतृत्व पंजाब में समय बिता रहा है, इसलिए ऐसा लग रहा है कि राज्य की सरकार दिल्ली के नेता चला रहे हैं। इस कदम से स्थिति थोड़ी सुधरने की उम्मीद है।
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