
इंदौर। मालेगांव बम ब्लास्ट केस (Malegaon Bomb Blast Case) का फैसला गुरुवार को आ गया। एनआईए कोर्ट (NIA Court) ने भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिस बाइक में ब्लास्ट हुआ, वह साध्वी प्रज्ञा के नाम पर नहीं थी। लेकिन, मालेगांव में वर्ष 2006 में भी बम ब्लास्ट हुआ था। उस केस में इंदौर के रहने वाले संदीप डांगे का नाम भी जुड़ा है। संदीप 19 साल से एनआईए की मोस्ट वांटेड लिस्ट में है, उस पर 10 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया है। लेकिन, एजेंसी आज तक उसका पता नहीं लगा पाई। 2006 के ब्लास्ट में गिरफ्तार 9 लोगों को 2016 में बरी किया था।
संदीप डांगे इंदौर के लोकमान्य नगर में रहता था। उसने कम्यूटर इंजीनियरिंग की है, वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा था। हालांकि, बाद में संदीप समेत कुछ अन्य पदाधिकारी संघ से बाहर हो गए थे। इसके बाद संदीप का नाम एक चरमपंथी संगठन से जुड़ गया था। संदीप को जानने वाले बताते हैं कि वह काफी शांत स्वभाव का था। संदीप के पिता विश्वास डांगे आज भी लोकमान्य नगर में रहते हैं। केस की जांच के दौरान व बाद में एनआईए के अफसरों की टीम कई बार इंदौर आई और संदीप के बारे में पूछताछ की, लेकिन संदीप ने कभी किसी किसी से संपर्क नहीं किया। यहां तक की उसने अपने पिता से भी कभी संपर्क नहीं किया। संदीप के बारे में पूछताछ करने इंदौर आई एनआईए की टीम हर बार खाली हाथ ही वापस लौटी।
8 सितंबर 2006 को मालेगांव में चार बम विस्फोट हुए थे। इनमें तीन हमीदिया मस्जिद में और एक मुशवरत चौक पर हुआ था। इन बम ब्लास्ट में छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे। जिसे लेकर आजाद नगर थाना मालेगांव में दो मामले, धारा 95/06 और धारा 96/06 दर्ज किए गए थे। इसके अलावा, 13/09/06 को मोहम्मदिया मस्जिद शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में एक नकली बम मिला और मालेगांव सिटी पुलिस स्टेशन में अपराध संख्या 3088/2006 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस केस में संदीप डांगे भी आरोपी था। पहले महाराष्ट्र एटीएस ने इस केस की जांच की थी। बाद में एनआईए को जांच का जिम्मा दे दिया था।
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